खेती, बागवानी, मछली गाय बकरी और बतख पालन एक साथ करें, इस तरह किसान होंगे मालामाल

बिहार के गोपालगंज में आंध्र प्रदेश की तरह समेकित कृषि प्रणाली का प्रयोग शुरू किया गया है। इसके तहत किसान एक ही जमीन पर खेती से लेकर बागवानी और पशुपालन सहित विभिन्न प्रकार की कृषि करेंगे।
 

The Chopal - बिहार के गोपालगंज में आंध्र प्रदेश की तरह समेकित कृषि प्रणाली का प्रयोग शुरू किया गया है। इसके तहत किसान एक ही जमीन पर खेती से लेकर बागवानी और पशुपालन सहित विभिन्न प्रकार की कृषि करेंगे। कई सरकारी विभागों ने इस प्रणाली का मॉडल मंथन कर बनाया है। इसमें कृषि, उद्यान, मत्स्य और पशुपालन जैसे अलग-अलग क्षेत्र हैं। नाबार्ड व केवीके भी इसमें शामिल हैं। यह मॉडल सफल होने पर बिहार के अन्य जिलों के किसानों को प्रेरणा मिलेगी। रासायनिक खाद की कमी होगी। जैविक और प्राकृतिक कीटनाशक का उपयोग बढ़ेगा।

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फिलहाल, जिले में समेकित कृषि प्रणाली की 14 इकाइयों में से केवल 14 काम कर रहे हैं। कुल सत्तर इकाई बनाने का लक्ष्य है। इस प्रणाली को स्थानीय जलवायु, कृषि प्रणाली, उत्पादकता और जमीन की गुणवत्ता को देखते हुए लांच किया गया है। मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में खेती करने वाले किसानों को लगता है कि यह प्रणाली फायदेमंद होगी।

समेकित कृषि प्रणाली क्या है?

समेकित कृषि प्रणाली में एक भूखंड पर अनाज, सब्जी, फल और मसाले की खेती के अलावा गाय, कुक्कुट, मछली, बकरी और बत्तख की खेती की जाती है। यहाँ एक कृषि कार्य दूसरे के साथ काम करता है। जैसे, गाय के गोबर से जैविक खाद और ईंधन गैस बनाया जाएगा। गाय और मछली का आहार अनाज से बनाया जाएगा। गोमूत्र से प्राकृतिक कीटनाशक बनाया जाएगा और फसल पर इस्तेमाल किया जाएगा।

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किसानों को प्रशिक्षण

नोडल पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि समेकित कृषि प्रणाली को अपनाने वाले किसानों को आईसीआर (पटना में एक एकड़ और दो एकड़ की जमीन) का प्रशिक्षण भी दिया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र, पिपराकोठी में भी कृषि, बागवानी और पशुपालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। किसानों को सरकारी विभिन्न योजनाओं का भी लाभ मिल रहा है। विभिन्न सरकारी विभाग कृषि यंत्र खरीदने से लेकर तालाब खुदवाने,काऊ शेड बनाने,उन्नत पौधे और मछली के जीरे प्रदान करने में सहयोग कर रहे हैं।

समेकित कृषि व्यवस्था से पांच बड़े लाभ

अनाज के अलावा दूध, मछली, चिकेन और फल जैसे उत्पादों से लाभ मिलेगा - खेती-बारी में रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर निर्भरता कम होगी - पशुपालन और खेती में अपशिष्ट पदार्थों का उत्पादक उपयोग किया जा सकेगा - गोबर गैस उत्पादक से प्राकृतिक ईंधन का इस्तेमाल किया जा सकेगा प्राकृतिक और जैविक खेती से जमीन उर्वर होगी और पर्यावरण स्वच्छ रहेगा।

बताओ अध्यक्ष

जिले में एक समेकित कृषि व्यवस्था लागू की गई है। यह किसानों के लिए पूरी तरह से फायदेमंद है। ज्यादा से ज्यादा किसानों से इस प्रणाली को अपनाने की अपील की जा रही है। किसानों को उनके ऑर्गेनिक उत्पादों को बेचने की भी कोशिश की जा रही है। यह व्यवस्था दूसरे जिलों के किसानों को भी प्रेरणा देगी।