देश के चार बड़े अनपढ़ बिजनेसमैन, जिन्होंने बिना पढे खड़ा कर दिया अरबों का बिजनेस

 

The Chopal - भारत अपनी सफलताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह हमेशा से बहुत कुछ का केंद्र रहा है। भले ही हमें 1947 में स्वतंत्रता मिली थी। लेकिन भारत हमेशा व्यापार में बहुत सक्रिय रहा है। हमारे देश ने विश्व भर में कई अच्छे व्यापारी दिए हैं। इन व्यवसायों ने दिखाया कि उच्च शिक्षा हासिल करना सफलता के लिए आवश्यक नहीं है। भारत के प्रमुख उद्योगपतियों ने इन बातों को साबित किया है। उन लोगों ने जो कुछ भी नहीं पढ़े हैं, लेकिन उनका उद्योग हजारों करोड़ का है।

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आज हम जिन लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं, उन्होंने साक्षर होना, उच्च शिक्षा हासिल करना या बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में भारी भरकम भाषण सुनना जीवन में सफलता के कदम चूमने के लिए आवश्यक नहीं समझा। अपनी मेहनत से देश के बड़े बिजनेसमैनों में शामिल हो गए। यह देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में उनका गाना बजता है।

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गणेशदास बिड़ला

इस सूची में जीडी बिड़ला या घनश्याम दास बिड़ला का नाम सबसे ऊपर है। जीडी बिड़ला का जन्म 1894 में राजस्थान के पिलानी में हुआ था। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई के बाद वे कोलकाता गए और व्यसाय करने लगे। वह केएम बिड़ला ग्रुप का संस्थापक था। एक आंकड़ा बताता है कि इस ग्रुप की संपत्ति करीब 200 अरब रुपये की है। जीडी बिड़ला ने प्रारंभिक शिक्षा के बाद ही पढ़ाई लिखाई छोड़ दी।

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वालचंद जी

देश में सेठ वालचन्द हीराचन्द ने जहाज और एयरक्राफ्ट बनाने की शुरुआत की। वे इसके माध्यम से देश भर में अन्य व्यापारों में भी शामिल हो गए और एक सफल कारोबारी बन गए। उन्होंने 23 नवंबर 1882 को गुजरात में एक जैन परिवार में जन्म लिया था। उन्होंने पढ़ाई बीच में छोड़ने के बाद पहले घरेलू व्यवसाय शुरू किया। लेकिन बाद में उन्होंने घरेलू व्यापार छोड़कर खुद से जहाजरानी, वायुयान बनाने और कार बनाने में सफलता हासिल की।

MDH द्वारा धर्मपाल गुलाटी

MDH के धर्मपाल गुलाटी का जन्म 1919 में सियालकोट, पाकिस्तान में हुआ था। इनकी शिक्षा शुरू में ही बेहतर पढ़ाई और मन ना लगने के कारण छूट गई। यहीं से उनका व्यापार शुरू हुआ। उनकी कंपनी शहर में एक छोटे से स्टोर से शुरू हुई। लेकिन 1947 में उनका परिवार दिल्ली आ गया। यहीं से वे मसालों का व्यापार करने लगे।

श्री रामकृष्ण डालमिया

रामकृष्ण डालमिया ने 18 साल की उम्र में कारोबार शुरू किया, तो उनके पिता ने उनके लिए विरासत में कुछ भी नहीं छोड़ दिया था। अगले कुछ सालों में उन्होंने बड़ा उद्योग बनाया। प्राइमरी स्कूल या कॉलेज जाने का कोई सबूत नहीं मिलता, हालांकि उनकी शैक्षिक योग्यता को जानते हैं। लेकिन उन्होंने डालमिया ग्रुप बनाया। इन्होंने चीनी कारखानों, सीमेंट, पेपर, बैंक, बीमा कंपनियों, बिस्कुट, पर्यटन कंपनियों और प्रकाशन में काम किया।उनकी पढ़ाई बहुत कम हुई थी।