Goat : बकरी गाभिन का खर्च लगेगा कम, नस्ल में होगा सुधार, आ गई नई तकनीक

Goat Breeder :किसान आजकल खेती बाड़ी के साथ-साथ है, पशुपालन का भी व्यवसाय कर रहे हैं, जिसमें हम बात कर रहे हैं बकरी पालन की, बकरी पालन में किस को मुनाफा उनके बच्चे तथा दूध बेचकर होता है, बकरी के द्वारा जितने ही स्वच्छ बच्चे को जन्म दिया जाता है मुनाफा उतना ही ज्यादा होता है.
 

The Chopal, Goat Breeder : किसान आजकल खेती बाड़ी के साथ-साथ है, पशुपालन का भी व्यवसाय कर रहे हैं, जिसमें हम बात कर रहे हैं बकरी पालन की, बकरी पालन में किस को मुनाफा उनके बच्चे तथा दूध बेचकर होता है, बकरी के द्वारा जितने ही स्वच्छ बच्चे को जन्म दिया जाता है मुनाफा उतना ही ज्यादा होता है, बकरी के बच्चों की बिक्री वजन के हिसाब से होती है, इनमें अलग-अलग नस्ल होती है इसके लिए हम बताने जा रहे हैं आर्टिफिशल इंसेमीनेशन (AI) के बारे में इस तकनीक से हिट में आई बकरी को सीमन दिया जाता है जिससे गाभिन हो जाती है.

इस खास तकनीक से हीट में आई बकरी सिर्फ 25 रुपये में गाभिन हो जाती है. साथ ही जिस बकरे का सीमेन इस्तेमाल किया जा रहा है उसका पूरा रिकॉर्ड भी मिलता है. 25 रुपये जैसी मामूली रकम में बकरी के मनपसंद बच्चे मिल जाते हैं. जबकि बकरी को पुराने पारंपारिक तरीके से गाभिन कराने पर 200 से 300 रुपये खर्च हो जाते हैं. 

ऐसे कम हुआ बकरी को गाभिन कराने का खर्च 

हाल ही में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थासन, मथुरा ने एक नई तकनीक पर काम शुरू किया है. इसका नाम है लैप्रोस्कोकपिक आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक. इस तकनीक का इस्तेमाल कर मेमने का जन्म कराने वाले वैज्ञानिक योगेश कुमार सोनी का कहना है कि अभी तक दूसरी तकनीक का इस्तेमाल कर किसी एक नर बकरे के 100 मिलियन सीमेन से एक ही मेमने का जन्म कराया जा रहा था.

लेकिन नई तकनीक की मदद से अब 100 मिलियन सीमेन में पांच मेमने जन्म ले सकेंगे. यानि की बकरे के एक बार के सीमेन से पांच बकरी गाभिन हो सकेंगी. एक बकरी के लिए सिर्फ 20 मिलियन सीमेन काफी रहेगा. इस तकनीक से हम अच्छी नस्ल के बकरों के सीमेन का बेहतर और ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सकेंगे. 

बढ़ाया जा रहा है मनपसंद बकरे-बकरी का परिवार
 
सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट चेतना गंगवार का कहना है कि आर्टिफिशल इंसेमीनेशन से बकरियों को गर्भवती किया जा रहा है. इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बकरी को एक अच्छे नस्ली बकरे का सीमेन मिल जाता है. जिससे बकरी अच्छे और हेल्दी बच्चे को जन्म देती है. दूसरा ये कि इस तकनीक की मदद से पशुपालक का बकरे-बकरियों का झुंड नस्ल के आधार पर खराब होने से बच जाता है.

क्योंकि होता ये है कि पशुपालक जाने-अनजाने में बकरी को गाभिन कराने के लिए एक ऐसे बकरे के पास ले जाते हैं जिसके बारे में उन्हें यह भी पता नहीं होता कि बकरे-बकरी की एक ही नस्ल है या अलग है. बकरे की बीमारियां और उसकी फैमिली के बारे में भी कुछ पता नहीं होता है.