High Court Decision on Divorce : क्या पति पर शक तलाक का आधार, जानिए हाईकोर्ट का मुख्य फैसला

High Court Decision on Divorce - आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने एक मामले में, शादी के चालिस साल बाद, पति पर शक करने और दूसरी महिला से संबंध बनाने के आरोपों को पति का उत्पीड़न मानते हुए तलाक को मंजूरी दी है। कोर्ट के फैसले पर अधिक जानकारी के लिए खबर को पूरा पढ़ें। 

 
क्या पति पर शक तलाक का आधार, जानिए हाईकोर्ट का मुख्य फैसला

The Chopal News : यदि आपकी आदतों में आपके पति पर शक करना और उन पर बेवजह किसी दूसरी महिला से संबंध होने का आरोप लगाना शामिल है, तो समय रहते इसे दूर कर दें। आपकी ये आदत शायद आपके विवाह को खत्म कर दे। हाईकोर्ट ने एक मामले में, शादी के चालिस साल बाद, पति पर शक करने और दूसरी महिला से संबंध बनाने के आरोपों को पति का उत्पीड़न मानते हुए तलाक को मंजूरी दी है।

जस्टिस जेआर मिधा ने निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ पति की अपील को स्वीकार किया। उनका कहना था कि तथ्यों से साफ है कि पति पर महिला की ओर से अपने भाई की पत्नी से अवैध संबंध रखने के आरोप झूठ हैं। कोर्ट ने निर्णय दिया कि महिला अपने पति से क्रूरता से व्यवहार करती थी। दोनों ने भी अपना सारा जीवन अलग-अलग बिताया है। ऐसे में अब दोनों एक साथ नहीं होंगे।

कोर्ट ने कहा कि सभी परिस्थितियों को देखते हुए अब दोनों के बीच तलाक को मंजूरी देना ही उचित होगा। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें दोनों को कानूनी तौर पर अलग रहने की अनुमति दे दी गई थी लेकिन तलाक देने से इनकार कर दिया था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ पति व पत्नी दोनों ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने महिला की अपील को खारिज कर दिया।

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6 साल चला तलाक का यह मुकदमा-

वर्ष 1978 में रश्मि व प्रेम (बदला हुआ नाम) की शादी हुई थी। वर्ष 1980 में दंपति को एक बेटा हुआ और इसके दो साल बाद एक बेटी। इसके कुछ समय बाद दोनों में अनबन होने लगी। पति की ओर से तलाक के लिए दाखिल याचिका के अनुसार रश्मि उस पर हमेशा शक करती और किसी अन्य महिला से अवैध संबंध रखने के झूठे आरोप भी लगाती। प्रेम ने 2002 में निचली अदालत में तलाक की मांग को लेकर याचिका दाखिल की। उसने कहा कि उसके भाई की मौत के बाद से उसकी पत्नी ने उस पर अपने भाई की पत्नी से ही अवैध संबंध होने का आरोप लगाना शुरू कर दिया। वर्ष 2011 में निचली अदालत ने दोनों को कानूनी तौर पर अलग रहने की अनुमति दे दी थी। लेकिन तलाक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।

गुजाराभत्ता के लिए कोर्ट जाने की छूट-

हाईकोर्ट ने इस मामले में तलाक को मंजूरी देते हुए महिला को पति से गुजाराभत्ता पाने के लिए संबंधित कोर्ट में जाने की छूट दे दी थी। महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पति ने गुजाराभत्ता देना बंद कर दिया है।

लंदन वाले घर का किराया पत्नी को-

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि लंदन वाले घर का कब्जा और उससे आने वाला किराया पत्नी के पास ही रहेगा। इसके साथ ही कहा कि दिल्ली के जीवन विहार स्थित घर का कब्जा भी पत्नी के पास ही रहेगा।

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