UP में बनाया जाएगा घरौनी कानून, गांव और देहात में रहने वाले लोगों को होगा ये लाभ

UP News : उत्तर प्रदेश  में आबादी की जमीन में मेरी चौखट, मेरी चौहद्दी के झगड़े और सिर फुटव्वल के मामले कम होंगे। लखनऊ के 670 में 500 गांवों की ड्रोन मैपिंग हो गई है। अब इस मैप को सर्वे ऑफ इंडिया को भेजा गया है। शेष प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन गांवों के आबादी की जमीन पर रहने वालों को घरौनी मिल जाएगी।

 

The Chopal : उत्तर प्रदेश में शहरी आबादी की तरह अब प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग भी अपने मकान पर बैंकों से ऋण ले सकेंगे। खरीद-फरोख्त के बाद उनके घरों का नामांतरण हो सकेगा और वरासत भी आसानी से हो सकेगी। प्रदेश सरकार इसके लिए जल्द ही उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2024 को विधानसभा से पास करवा कर लागू करेगी। 90866 गांवों में ड्रोन से सर्वे हुआ। यूपी के 52448 गांवों में कुल 75 लाख 31 हजार 29 घरौनी तैयार हैं।

दरअसल, भारत सरकार ने वर्ष 2020 में स्वामित्व योजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण आबादी क्षेत्रों का सर्वे कर ग्रामीणों के स्वामित्व संबंधी अभिलेख राजस्व परिषद की देखरेख में बनाना शुरू किया है। इसके लिए उप्र राजस्व संहिता-2006 में दिए गए प्रावधानों के तहत उप्र आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रिया नियमावती-2020 लागू की गई थी। इस नियमावली में घरौनी तैयार करने की व्यवस्था तो है लेकिन नामांतरण यानी घर बेचने-खरीदने पर स्वामी का नाम चढ़ाने, वरासत दर्ज कराने एवं संशोधन किए जाने की व्यवस्था नहीं थी।

कई स्तर पर जांच-पड़ताल के बाद बनती है घरौनी

ड्रोन से संबंधित गांव का पहले सर्वेक्षण होता है। किसी का घर कहां है, उसके घर पर कुआं या हैंडपम्प, गौशाला या आंगन की सीमा कहां तक है इसका मैप में लेखाजोखा होता है। उसी के आधार पर गांव में चूने का छिड़काव किया जाता है। इसके बाद लेखपाल मौके पर जाकर जांच-पड़ताल कर यह पक्का करते हैं कि सबकुछ नक्शे के अनुसार है। फिर सर्वे ऑफ इंडिया को प्रमाणित मैप भेजा जाता है। वहां से वापस संबंधित जिले में आता है। यहां पर संबंधित गांव से आपत्तियां मांगी जाती हैं। इसके बाद घरौनी जारी कर दी जाती है।

राजस्व परिषद के अध्यक्ष हेमंत राव ने बताया कि नामांतरण, वरासत दर्ज कराने और संशोधन किए जाने के लिए नए विधेयक बनाने की जरूरत महसूस की गई है। इसके बनने के बाद ग्रामीण आबादी में नामांतर, वरासत व संशोधन हो सकेंगे। इसके बनाने के बाद ग्रामीण अबादी बैंकों में घरों को गिरवी रखकर लोन भी ले सकेंगे। इसके लिए ‘उत्तर प्रदेश आबादी अभिलेख विधेयक-2024’ का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। विधेयक में आबादी सर्वेक्षण कर घरौनी तैयार करने, घरौनी में किसी त्रुटि होने पर सुधार करने, वरासत दर्ज करने के प्रावधान किए गए हैं। इस कानून के लागू होने के बाद ग्रामीण जनता को बहुत लाभ होंगे। ग्रामीण आबादी के स्वामित्व संबंधी विवादों में कमी आएगी।

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