India size chart : अब कपड़ों पर मिलने लगेगा देसी साइज, यूके-यूएस के XL-XXL नाप होंगे खत्म

India size chart : जब आप कपड़े खरीदते हैं तो उसपर साइज लिखा होता है XL-XXL लेकिन अब ये नाप खत्म होने वाले हैं अब कपड़ों पर आपको  देशी साइज देखने को मिलेगा।
 

New Clothing Size For Indian : कपड़ा सचिव रचना शाह ने मंगलवार को कहा कि कपड़ा मंत्रालय जल्द ही परिधानों के लिए ‘इंडिया साइज’ वाले मानकों को पेश करेगा. इन मानकों को भारतीय शारीरिक संरचना के अनुसार तैयार किया गया है. 

इन मानकों के आने के बाद भारतीय ऐसे कपड़ों को खरीद सकेंगे, जो उनके लिए बेहतर फिट होंगे. इस समय भारत में उपलब्ध अंतरराष्ट्रीय और घरेलू ब्रांड ‘छोटे’, ‘मध्यम’ और ‘बड़े’ साइज वाले कपड़ों के लिए अमेरिका या ब्रिटेन के माप का इस्तेमाल करते हैं.

हालांकि, पश्चिमी शारीरिक संरचना में ऊंचाई, वजन या शरीर के अंगों की विशिष्ट माप भारतीयों से अलग होती है, जिसके चलते कभी-कभी उन्हें फिटिंग संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस बारे में शाह ने समाचार एजेंसी भाषा से कहा, ”हम उम्मीद कर रहे हैं…यह बहुत जल्द होगा.” कपड़ा सचिव ने कहा कि सरकार का लक्ष्य घरेलू तकनीकी कपड़ा क्षेत्र को अगले पांच वर्षों में 40-50 अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाना है, जो इस समय 22 अरब अमेरिकी डॉलर का है. शाह ने कहा, ”तकनीकी वस्त्रों का हमारा निर्यात इस समय 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर है। हमारा मकसद इसे पांच वर्षों में बढ़ाकर 10 अमेरिकी डॉलर करना है.”

एनआईएफटी को सौंपा गया काम

भारतीय लोगों के लिए एक मानक साइज चार्ट तैयार करने का काम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) को सौंपा गया है. इसके लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरू, हैदराबाद और शिलॉन्ग से 25000 लोगों के माप लिये गए हैं. 

इनकी उम्र 15-65 वर्ष के बीच है. खबरों के अनुसार, निफ्ट ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को इस संबंध में एक प्रेजेंटेशन भी दिखाई है. पीयूष गोयल का कहना है कि कपड़ों के साथ-साथ जूते-चप्पलों के लिए भी भारतीय मानक तैयार किया जा रहा है.

काट-छांट की जरूरत होगी कम

इंडिया साइज के कपड़े आ जाने से ग्राहकों को काफी लाभ मिलेगा. अभी रेडीमेड कपड़े खरीदने पर कई बार उसे टाइट या लूज करवाना पड़ता है. वह कपड़े विदेशी नागरिकों के डील-डौल के हिसाब से तैयार होते हैं. 

भारतीयों की शारीरिक बनावट उनसे अलग है जिसकी वजह से महंगे कपड़े खरीदने के बावजूद फिर उसे पहनने लायक बनाने के लिए उसमें अतिरिक्त रकम लगानी पड़ती है.

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