Indian Railways : ट्रेन टिकट से जान लें कौन सी है आपकी बर्थ, बीच में है या कोर्नर में
Indian Railways : भारत में ट्रेन से हर दिन करोड़ों लोग सफर करके एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचते हैं. इसलिए भारतीय ट्रेन को देश की लाइफ लाइन भी कहा जाता है. ट्रेन से सफर करने का अपना ही एक अलग एक्सपीरियंस होता है. ट्रेन में खिड़की के पास बैठ कर बाहर का नजारा देखने का एक अलग ही मजा है।
ये आपकी यात्रा और अधिक खूबसुरत बना देता है. लेकिन ऐसे भी कई लोग हैं जिन्हें टिकट बुक करते समय यह मालूम नहीं रहता है कि कौन सी सीट बुक करनी है या कौन से सीट बुक नहीं करनी है. वैसे ज्यादातर लोगों को लोअर बर्थ ही पसंद आती है।
आईआरसीटीसी से जब भी आप ट्रेन का टिकट बुक करते हैं तो आपको अपनी पसंद की बर्थ सिलेक्ट करने का ऑप्शन मिलता है। हालांकि जहां तक रेलवे का सवाल है वो आवश्यकता के अनुसार बर्थ अलॉट करता है। जैसे वरिष्ठ नागरिकों और छोटे बच्चे वाली महिलाओं को लोअर बर्थ दी जाती है।
अगर सीट खाली होती है तो आपको आपकी पसंद की बर्थ मिल जाती है वरना रेलवे के हिसाब से दी बर्थ पर सफर करना होता है। ऐसे में आप परेशान हो जाते हैं कि आपको कौन सी सीट मिली है. आज हम आपकी ये परेशानी दूर करने जा रहे हैं।
ट्रेन एक डिब्बे में कितनी होती हैं सीटें-
किसी भी ट्रेन के डिब्बे में सीटों की संख्या डिब्बे की कैटेगरी पर निर्भर करता है. स्लीपर में सीटों की संख्या AC वाली डिब्बे से अधिक होती है. सबसे अधिक सीटों की संख्या जनरल डिब्बे में होती है. ट्रेन के स्लीपर कोच में यानी कि स्लीपर वाले डिब्बे में सीटों की संख्या 72 ,74 या 80 होती हैं कुछ ट्रेनों में स्लीपर डिब्बे में सीटों की संख्या 74 तो कुछ में 72 और कुछ ट्रेनों में 80 होती है. कुछ ट्रेन में एसी वाले डिब्बों में सीटों की संख्या 46 और कुछ ट्रेनों में सीटों की संख्या 154 होती है।
अपर/लोअर या मीडिल कौन सी है आपकी बर्थ-
आपको ट्रेन में कौन सी बर्थ मिली है ये पता करना वैसे तो ज्यादा बड़ी बात नहीं है. लेकिन फिर भी कई बार लोग कन्यूजन में रहते हैं, कि आखिर उनकी कौन से बर्थ है. इसके अलावा जो लोग ट्रेन से कम सफर करते हैं उनको भी ये समझने में थोड़ी परेशानी हो सकती है. आज हम आपकी इस समस्या समाधान करने वाले हैं।
स्लीपर क्लास भारतीय रेलवे का सबसे आम कोच है, आमतौर पर इस तरह के दस या अधिक कोच एक ट्रेन में जोड़े जाते हैं. इस कोच में चौड़ाई में तीन बर्थ होती हैं और दो लम्बाई में होती हैं। सबसे पहले आपको ध्यान रखना होगा कि 1 नंबर हमेशा चौड़ाई तरफ की लोअर बर्थ होती है. इसी के हिसाब से सिक्यूंस चलता है।
मालगाड़ी क्यों होते हैं पैसेंजर ट्रेन से अधिक डिब्बे
किसी मालगाड़ी के कोच की लंबाई की बात करें, तो अलग-अलग स्तिथि में ये 11 से 15 मीटर के बीच होती है. ऐसे में इन मालगाड़ियों में रेलवे 40 से 40 डिब्बे तक बड़ी ही आसानी से लगा लेती है।
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