Indian Railways: इस ट्रेन का नेताजी बोस से हैं गहरा संबंध, 157 सालों का इतिहास हैं काफी ज्यादा दिलचस्प
 

इंडियन रेलवे अपने व्यापक नेटवर्क के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। रोजाना इस नेटवर्क के जरिए करोड़ों लोग ट्रेनों में जाते हैं। भारत में एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए अधिकांश लोगों ने रेल को सबसे अच्छा विकल्प माना है।
 

Indian Railways 157 Oldest Train: इंडियन रेलवे अपने व्यापक नेटवर्क के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। रोजाना इस नेटवर्क के जरिए करोड़ों लोग ट्रेनों में जाते हैं। भारत में एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए अधिकांश लोगों ने रेल को सबसे अच्छा विकल्प माना है। इंडियन रेलवे के बारे में आपने कई बार बहुत सारी जानकारी और दिलचस्प तथ्य सोए होंगे। साथ ही, आप इंडियन रेलवे का रोचक इतिहास जानते हैं?

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इनमें से एक 157 वर्ष पुरानी रेल गाड़ी भी है। यह 157 साल पुरानी ट्रेन भी कई पीढ़ियों से गुजर चुकी है। यद्यपि आप इसके इतिहास से परिचित नहीं होंगे, आप भी शायद इसमें सफर किया होगा। वास्तव में, आज हम आपको इंडियन रेलवे की सबसे पुरानी ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 157 साल की है। आइए इसके बारे में अधिक जानें।

157 वर्ष पुरानी इंडियन रेलवे की ट्रेन

हम 157 वर्ष पुरानी ट्रेन कालका मेल के नाम से जानी जाती हैं । जनवरी में, भारत की सबसे पुरानी ट्रेन ने पने संचालन के 157 साल पूरे किए। कालका मेल, जो अंग्रेजों ने 1 जनवरी 1866 को शुरू किया था, कई बार नाम बदल चुका है।

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बदला गया कई बार नाम - 

इंडियन रेलवे के रिकॉर्ड की मानें तो, ईस्ट इंडियन रेलवे मेल के नाम से कालका मेल शुरू हुआ था। East Indian Railway Mail पहले कालका मेल ट्रेन था, लेकिन 2021 में इसका नाम बदल दिया गया। इंडियन रेल मंत्रालय ने इसे नेताजी एक्सप्रेस नाम दिया।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस से रहा गहरा है संबंध 

अंग्रेजों द्वारा बनाई गई इस ट्रेन का नेताजी सुभाष चंद्र बोस से भी गहरा संबंध है। माना जाता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 18 फरवरी 1941 को Kalka Mail से ही अंग्रेजों को धूल झोंक दिया था। कालका मेल ईस्ट इंडियन रेलवे ने चलाया था। इस ट्रेन से गर्मी में अंग्रेज अधिकारी कोलकाता से शिमला चले गए। इसके अलावा, सर्दियों में यह रेलगाड़ी वायसराय से कोलकाता जाती थी।

दो हिस्सों में शुरू हुई थी कालका मेल ट्रेन

शुरुआत में कालाका मेल ट्रेन दो भागों में शुरू किया गया था। हावड़ा से दिल्ली के बीच पहले चलाया गया था। यह ट्रेन 1891 में दिल्ली से कालका तक पहली बार चली। इसकी शुरुआत खासतौर पर अंग्रेजों ने अपने अधिकारियों को गर्मी में कोलकाता से सर्दी में शिमला तक पहुंचाने के लिए की गई थी। इंडियन लोग इस रेल गाड़ी में नहीं जा सकते थे। सिर्फ अंग्रेजी अधिकारी इसमें जाया करते थे।