देश का पहला और सबसे महंगा एक्सप्रेसवे, जानिए यात्रा में कितनी करनी होती है जेब ढीली
Most Expensive Expressway : आज हम देश के सबसे महंगे एक्सप्रेसवे के बारे में जानकारी देंगे। यह भी दिलचस्प है कि देश का पहला एक्सप्रेसवे है। हम मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे की बात कर रहे हैं। भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर का सबसे अच्छा उदाहरण देश का पहला हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे है। 1999 में आंशिक रूप से और 2002 में पूरी तरह से लोगों के लिए खुला। यह एक्सप्रेसवे नवी मुंबई के कलंबोली से पुणे के किवाले तक 94.5 किलोमीटर लंबा है। इससे पुणे और मुंबई के बीच यात्रा का समय एक घंटे से तीन घंटे कम हो गया है।
महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) ने इस सड़क को बनाया। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बड़ा योगदान इसे बनाने में रहा। कुल ₹1,630 करोड़ की लागत आई। रिपोर्टों के अनुसार, इस पर दूसरे एक्सप्रेसवे के मुकाबले प्रति किलोमीटर 1 रुपये अधिक टोल टैक्स देना होता है।
हर तीन साल में बढ़ता है, 18% टोल
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर टोल दरें हर साल 6% बढ़ती हैं और हर तीन साल में 18% बढ़ती हैं। 2023 के अप्रैल में टोल में बदलाव हुआ, जिसमें कार टोल ₹270 से ₹320 हुआ। अब मिनीबस और टेम्पो का टोल 420 से 495 रुपये है, जबकि दो एक्सेल वाले ट्रकों का टोल 585 से 685 रुपये है। बसों का टोल ₹797 से ₹940 हो गया। अधिकारियों ने कहा कि अगला टोल संशोधन 2026 में होगा और 2030 तक इसकी दरें स्थिर रहेंगी।
इस एक्सप्रेसवे से जुड़े, कुछ दिलचस्प तथ्य
महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) द्वारा निर्मित, इस एक्सप्रेसवे की लागत ₹1,630 करोड़ रही। इसका एक सिरा भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई को जोड़ता है, जबकि दूसरा सिरा पुणे से जुड़ता है। यह एक्सप्रेसवे यात्रा का समय तीन घंटे से घटाकर मात्र एक घंटा कर देता है। टोल दरें हर साल 6% बढ़ती हैं, और तीन वर्षों में 18% की दर से संशोधित की जाती हैं। कारों का टोल ₹270 से ₹320, मिनीबस का ₹420 से ₹495, ट्रकों का ₹585 से ₹685 और बसों का ₹797 से ₹940 किया गया। टोल दरें 2026 में संशोधित होंगी और 2030 तक स्थिर रहेंगी.
विजन 2047 पर हो रहा, काम
सरकार 50,000 किलोमीटर लंबी हाई-स्पीड राजमार्ग बनाने के लिए "विजन 2047" पर काम कर रही है। फिलहाल देश में ऐसे 4,000 किलोमीटर राजमार्ग हैं। मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे भारत के राजमार्ग नेटवर्क के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और इसकी संरचना और प्रबंधन इसे खास बनाते हैं।