जम्मू की नीलम ने 9 साल पहले शुरू थी थी सफेद बटन मशरूम खेती, महिलाओं के लिए बनी एक प्रेरणा

Jammu and Kashmir News : अगर मेहनत और लगन के साथ कोई भी काम किया जाए, तो सफलता निश्चित होती है। आज हम आपको ऐसी ही एक प्रेरणादायक महिला की कहानी से रूबरू करवा रहे हैं, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद हार नहीं मानी और अपने हुनर से नई पहचान बनाई। 

 

Kathua News Today: अगर लगन और मेहनत से कोई भी काम किया जाए तो उसमें सफलता मिलना लाजमी है. आज इस लेख में हम आपको एक इस लेख में की एक ऐसी महिला के बारे में रूबरू करवाएंगे जो अपनी मेहनत और लगन के चलते नई पहचान बनाई है. आज के समय में बेरोजगारी दर देश में तेजी से बढ़ रही है. सरकारी नौकरी लगाना सबके लिए पॉसिबल नहीं है. लेकिन अगर इसके अलावा तकनीक से कुछ काम किया जाए तो आप इस महंगाई के दौर में अच्छा खासा पैसा कमा लेंगे.

महिला सशक्तिकरण की प्रतीक

यह कहानी है जम्मू-कश्मीर के हीरानगर ब्लॉक के झंडे गांव की रहने वाली नीलम रानी की, जो आज महिला सशक्तिकरण की प्रतीक बन चुकी हैं। आपको बता दें कि हीरानगर के झंडे गांव की नीलम रानी जो एक साधारण से घर के रहने वाली है. लेकिन आज के समय में नीलम रानी महिला सशक्तिकरण की प्रेरणा स्रोत बनकर उभरी है. नीलम रानी खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण दे रही हैं. यह महिलाएं प्रशिक्षण लेने के बाद अच्छा खासा पैसा कमा लेती है.

हीरानगर के जांडी गांव की गृहिणी नीलम रानी आज महिला सशक्तिकरण की प्रेरणा बन चुकी हैं। उनकी मेहनत और नवाचार ने पारंपरिक कृषि कार्यों में एक नई पहचान बनाई। आज वह जिले में मशरूम उत्पादन कर खुद आत्मनिर्भर हो चुकी है और दूसरी महिलाओं को भी इस व्यवसाय में प्रशिक्षण दे रही है।

महिला नेतृत्व और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बल मिला

नीलम रानी, एक आत्मनिर्भर महिला, ने 2017 में कृषि विभाग से संपर्क करके वसुंधरा महिला स्वयं सहायता समूह बनाया। वे एक पोल्ट्री शेड में एक हजार बैग से सफेद बटन मशरूम बनाने लगे। मशरूम की खेती, जो आर्द्रता और तापमान के प्रति संवेदनशील है इसलिए उन्हें 45 क्विंटल की उपज मिली। उसकी इस पहल से प्रेरित होकर आसपास की 15 से अधिक महिलाएं भी मशरूम उत्पादन में शामिल हो गईं, जिससे क्षेत्र में महिला नेतृत्व और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बल मिला।

किसान सुविधा केंद्रों के माध्यम से बाजार से जोड़ा गया

कृषि विभाग ने फिर उन्हें और उनकी टीम को जैविक खेती, सब्जी उत्पादन, अचार बनाने और मशरूम उत्पादन में प्रशिक्षण दिया। जिससे उत्पादों को उचित मूल्य मिल सके, उन्हें कठुआ, बनी, बसोहली और बिलावर के किसान सुविधा केंद्रों के माध्यम से बाजार से जोड़ा गया। वहीं, सरकारी सहयोग और संरचना निर्माण के तहत जिला कैपेक्स बजट 2022-23 से उन्हें 75 हजार रुपये की सब्सिडी पर 25 x 16 x 12 आकार का मशरूम शेड दिया गया। उन्हें कठुआ के मशरूम प्रशिक्षण केंद्र में भी विशेष प्रशिक्षण दिया गया, जिससे उनकी तकनीकी क्षमता में काफी सुधार हुआ।

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने कठुआ में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में नीलम रानी को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया। उन्हें जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी किसान सम्मेलन में सम्मानित किया। नीलम रानी की यात्रा एक आर्थिक आत्मनिर्भरता की कहानी है और ग्रामीण महिलाओं को प्रेरणा देती है कि वे सहयोग और नवाचार से समाज में नेतृत्व कर सकती हैं। महिला सशक्तीकरण, सामुदायिक विकास और कृषि क्षेत्र में संभावनाओं का प्रतीक बन चुकी हैं उनकी सफलताएं।