Journey : भारत का पहला मोबाइल कॉल, लगा था सुनने का इतना चार्ज, जाने वो शख्स

 

THE CHOPAL- क्या आपको पता है की एक सिम कार्ड खरीदने के लिए आपको 4,900 रुपये खर्च भी कर सकते हैं? आपको बता दे की ऐसी सिम जिसमें इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल के लिए आपको 17 रुपये प्रति मिनट तक की दर से पैसा कटता हो। आपको यह काफी अजीब लग रहा होगा। लेकिन अगर आपने साल 1995 में मोबाइल फोन खरीदा होता, तो आपको इतना ही पैसा देना होता। तब से लेकर अब तक टेलीकॉम इंडस्ट्री (Telecom Industry) में सब कुछ बदल चुका है। आज हमारा देश दुनिया के सबसे सस्ते इंटरनेट (Internet) वाले देशों में गिना जाता है। 23 अगस्त, 1995 को देश में पहला सेल्यूलर फोन (Cellular Phone) आया था। सबसे पहले कलकत्ता में सेल्यूलर फोन को व्यावसायिक तौर पर पेश किया गया था।

जानिए कहां हुई थी पहली मोबाइल कॉल-

भारत में मोबाइल फोन (Mobile Phone) की शुरुआत इससे कुछ थोड़ा पहले 31 जुलाई 1995 में हुई थी। मोदी टेल्स्ट्रा नाम की कंपनी ने भारत में इस सेवा की शुरुआत की थी। कंपनी ने इस सर्विस का नाम मोबाइल नेट रखा था। यह कंपनी बाद में स्पाइस टेलीकॉम के नाम से अपनी सेवाएं देने लगी। मोबाइल नेट की सेवाओं के लिए नोकिया के हैंडसेट का उपयोग हुआ था। भारत में पहली मोबाइल कॉल की गई 31 जुलाई 1995 में। यह कॉल कोलकाता से दिल्ली के लिए की गई थी। पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने उस समय के केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम को यह कॉल की थी। यह कॉल नोकिया के हैंडसेट (2110) से की गई थी। यह जीएसएम नेटवर्क पर पहली कॉल थी।

देने होते थे इनकमिंग कॉल के पैसे-


आज हमें इनकमिंग कॉल का कोई पैसा नहीं देना होता है। लेकिन उस समय इनकमिंग कॉल के लिए भी पैसा चुकाना होता था। 27 साल पहले इनकमिंग कॉल के लिए 8 रुपये प्रति मिनट तक चुकाने होते थे। वहीं, आउटगोइंग कॉल के लिए 16 रुपये प्रति मिनट की दर से पैसा लगता था। यह उस समय बहुत अधिक कीमत थी। यही कारण था कि शुरुआती पांच साल में यह सेवा केवल 10 लाख ग्राहकों तक ही पहुंच सकी थी।

इनकमिंग कॉल फ्री हुई तो तेजी से बढ़े ग्राहक-

मोबाइल फोन सेवा के लिहाज से साल 2003 काफी अहम था। इस साल सीपीपी अर्थात कॉलिंग पार्टी पेज का सिंद्धांत लागू हुआ था। इससे इनकमिंग कॉल फ्री कर दी गई थी। इससे मोबाइल फोन ग्राहकों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ। साथ ही उस साल लैंडलाइन पर भी दरों को घटाकर 1.20 रुपये प्रति मिनट कर दिया गया था।

मार्केट में आए फीचर फोन-

साल 2002 तक जीएसएम सेवा का बोलबाला था। साल 2002 में भारतीय बाजार में सीडीएमए (CDMA) की एंट्री हुई। Tala Tele और Reliance ने सीडीएमए के माध्यम से ही बाजार में एंट्री ली। इसके साथ ही बाजार में फीचर फोन आ चुके थे। नोकिया के छोटे फीचर फोन्स का बाजार में दबदबा था। तब तक सैमसंग भी भारतीय मोबाइल बाजार में कूद चुका था।

3जी और 4जी ने बदली तस्वीर-

मोबाइल इंडस्ट्री में 3जी और 4जी सेवाओं ने भूचाल ला दिया। साल 2009 में 3जी टेक्नोलॉजी ने मोबाइल की दुनिया में हलचल मचा दी। 3जी की डेटा ट्रांसफर स्पीड 21 एमबी प्रति सेकंड थी। इसके बाद साल 2012 में 4जी की शुरुआत की गई। अब भारत में 5जी सेवाओं की लॉन्चिंग की तैयारी है। 5जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन हो चुका है। कुछ ही महीनों में लोगों को यह सेवा मिलने लगेगी। 5जी सेवा में डेटा स्पीड 4जी की तुलना में 10 गुना अधिक होगी।

मोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति लेकर आया जियो-

साल 2016 में रिलायंस जियो (Reliance Jio) की लॉन्चिंग के बाद का समय भारत के लिए किसी स्मार्टफोन क्रांति से कम नहीं रहा। जियो के आने से पहले टेलीकॉम सेक्टर वॉयस कॉल प्लान्स पर फोकस्ड था। जियो के आने के बाद यह सेक्टर इंटरनेट प्लान्स पर फोकस्ड हो गया। देश में डेटा देखते ही देखते काफी सस्ता हो गया। आज हम हर व्यक्ति के हाथ में जो स्मार्टफोन देख रहे हैं, उसमें जियो की एक बड़ी भूमिका है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है।