गोरखपुर में नई योजना के तहत करेगा जमीनों का अधिग्रहण, 3 गांवों में शुरू करने की तैयारी

UP News : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर विकास प्राधिकरण की तरफ से अब जमीन के विकास को लेकर नई परियोजना लागू करने की तैयारी की जा रही है. जमीन अधिग्रहण की पुरानी जटिल प्रक्रिया अब समाप्त होने वाली है. इस परियोजना से किसानों को फायदा पहुंचाने वाला है. इस योजना के जरिए किसानों को अपनी जमीन के बदले सही मूल्य मिलेगा. 

 

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में गोरखपुर विकास प्राधिकरण की तरफ से जमीन विकास के क्षेत्र में सराहनीय कदम उठाया गया है. प्राधिकरण ने लैंड पूलिंग नीति लागू करने का फैसला लिया है. गोरखपुर विकास प्राधिकरण की पहली ऐसी अभिनव योजना होगी जिसमें किसानों की सहमति के आधार पर जमीन अधिग्रहण किया जाएगा. इस परियोजना से किसानों को सीधा लाभ पहुंचाने वाला है. किसानों को कुल जमीन का न्यूनतम 25% हिस्सा विकसित स्वरूप में लौटा दिया जाएगा.

25 प्रतिशत भूमि विकसित रूप में वापस मिलेगी

गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) अब भूमि पूलिंग नीति को अपनाने जा रहा है। यह प्राधिकरण की पहली ऐसी योजना होगी, जिसमें ताल कंदला, डोमिनी और जंगल कौड़ियों से भूमि ली जाएगी और उस पर आवासीय परियोजनाएं बनाई जाएंगी। जीडीए के प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह ने कहा कि योजना के तहत काश्तकारों को कम से कम 25 प्रतिशत भूमि विकसित रूप में वापस मिलेगी। इससे किसानों को उनकी जमीन का मूल्यवर्धन के साथ प्रतिफल मिलेगा, और उन्हें न तो नगद मुआवजा लेना पड़ेगा और न ही किसी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा।

जमीन पूलिंग योजना को औपचारिक मंजूरी

याद रखें कि 18 जून को हुई जीडीए बोर्ड बैठक में इस जमीन पूलिंग योजना को औपचारिक मंजूरी दी गई है। तीनों गांवों में जमीन का सर्वेक्षण कराया गया है और योजना जल्द ही लागू होगी। वर्तमान में प्राधिकरण के पास सिर्फ राप्तीनगर क्षेत्र में सीमित जमीन बची है, जो सिकुड़ते लैंड बैंक से उपजी है। ऐसे में, परंपरागत भूमि अधिग्रहण की कठिनाइयों से बचने के लिए जीडीए ने लैंड पूलिंग को एक प्रभावी और त्वरित समाधान के रूप में अपनाने की रणनीति बनाई है। 

किसानों का आर्थिक, सामाजिक और संरचनात्मक विकास होगा

यदि योजना कामयाब रही तो इसे अन्य क्षेत्रों में भी फैलाया जाएगा। किसानों के साथ लाभकारी साझेदारी प्राधिकरण की इस पहल से स्थानीय किसानों का आर्थिक, सामाजिक और संरचनात्मक विकास होगा, साथ ही परियोजना विकास के लिए भूमि भी मिलेगी। इस योजना को साझेदार आधारित विकास मॉडल की ओर अग्रसर करने के लिए विकसित भूखंड, बेहतर बुनियादी सुविधाएं और क्षेत्रीय विकास की संभावनाएं हैं। प्राधिकरण का मानना है कि इस पहल से गोरखपुर में समावेशी और दीर्घकालीन विकास होगा।