UP और MP के 66 गांवों से होगी जमीन अधिग्रहण, बनेगा हाई स्पीड कॉरिडोर

UP News : उत्तर प्रदेश से मध्य प्रदेश के बीच प्रस्तावित हाई स्पीड कॉरिडोर के लिए 66 गांव के किसानों की किस्मत में चमकने वाली है। दोनों राज्यों के बीच इस कॉरिडोर से यात्रा का समय एक घंटा काम हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट के लिए 66 गांवों की जमीन अधिग्रहण होनी है।

 
UP और MP के 66 गांवों से होगी जमीन अधिग्रहण, बनेगा हाई स्पीड कॉरिडोर

Uttar Pradesh News :  उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच प्रस्तावित हाई स्पीड कॉरिडोर से न सिर्फ यात्रा का समय कम होगा, बल्कि इससे जुड़े 66 गांवों के किसानों की किस्मत भी चमकने वाली है। आइए, इस प्रोजेक्ट से होने वाले प्रमुख लाभों पर एक नजर डालते हैं।  ग्वालियर, मध्य प्रदेश से आगरा, उत्तर प्रदेश तक चलने वाले प्रस्तावित हाईस्पीड कॉरिडोर के लिए 66 गांवों की जमीन दी जाएगी।  इस कॉरिडोर को बनाने के लिए 66 गांवों से लगभग 550 हेक्टेयर जमीन ली जाएगी। इस कॉरिडोर के बनने से ग्वालियर और आगरा के बीच की दूरी लगभग 32 किमी. तक कम हो जाएगी और दोनों शहरों के बीच सफर करने में लगभग एक घंटे की बचत होगी।

550 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण

ग्वालियर से आगरा तक प्रस्तावित हाईस्पीड कॉरिडोर के निर्माण के लिए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 66 गांवों की जमीन अधिग्रहण की जाएगी। इस परियोजना के लिए लगभग 550 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की जानी हैं। इस कॉरिडोर के बनने से आगरा और ग्वालियर के बीच की दूरी 32 किलोमीटर तक कम हो जाएगी, जिससे यात्रा का समय एक घंटे कम होगा और यात्रा अधिक आसान हो जाएगी।

किन गांवों की जमीन होगी अधिग्रहित?

यह हाईस्पीड कॉरिडोर ग्वालियर, मुरैना, धौलपुर और आगरा जिलों से होकर गुजरेगा। ग्वालियर-आगरा हाईस्पीड कॉरिडोर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के छह-छह गांवों से गुजरेगा और इसके लिए जमीन दी जाएगी।  ग्वालियर-मुरैना के बॉर्डर पर सुसेरा गांव में रायरू-झांसी बायपास से कॉरिडोर की शुरुआत होगी।  यहां से कॉरिडोर शनि मंदिर रोड पर स्थित गांव उराहना, पिपरसेवा, मुरैना और धौलपुर के बक्सपुरा से होकर आगरा के देवरी गांव तक जाएगा।  कॉरिडोर के लिए ग्वालियर के एक गांव, मुरैना के 32 गांव, धौलपुर के 18 गांव और आगरा के 15 गांवों में जमीन अधिग्रहित की जाएगी। कॉरिडोर की तकनीकी बोलियां (Technical Bids) मंगलवार को खोली गईं। 88 किलोमीटर लंबा यह हाईस्पीड कॉरिडोर पूरी तरह से एक्सेस-कंट्रोल्ड होगा, जिससे यातायात अधिक सुरक्षित और तेज होगा।

दस कंपनियों (अडानी भी शामिल) ने कॉरिडोर के लिए बोली लगाई

आगरा-ग्वालियर कॉरिडोर में अडानी एंटरप्राइजेज भी बोली लगाई है। इनमें इंफ्रास्ट्रकर डेवलपर्स, पीएनसी इंफ्राटेक, दिलीप बिल्डकॉन, डीआर अग्रवाल इंफ्राकॉन, जीआर इंफ्राप्रोजेक्ट्स, एमकेसी इंफ्रास्ट्रकर, वेलस्पन एंटरप्राइज़ और गावर इंफ्रा शामिल हैं। मंगलवार को कॉरिडोर में टेक्निकल बिड्स खोला गया था।  आगरा-ग्वालियर कॉरिडोर, जो 88 किमी. लंबा है, पूरी तरह से बंद होगा।

क्या होंगे फायदे?

1. 32 किलोमीटर की दूरी कम होगी

नया एलाइनमेंट पुराने रास्ते की तुलना में शॉर्टकट रूट प्रदान करेगा।

इससे फ्यूल की बचत होगी और लंबे रूट पर लगने वाली थकान भी कम होगी।

2. यात्रा में एक घंटे की बचत होगी

ट्रैफिक सिग्नल, क्रॉसिंग, मार्केट या भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से बचकर नॉन-स्टॉप सफर संभव होगा।

कम दूरी के साथ-साथ तेज रफ्तार की अनुमति मिलने से समय की बचत होगी।

3. सुरक्षित और तेज़ सफर के लिए एक्सेस-कंट्रोल्ड मार्ग

एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेसवे का मतलब है कि बीच-बीच में कोई लोकल एंट्री नहीं होगी — सिर्फ तय पॉइंट्स से ही एंट्री/एग्जिट।

इससे दुर्घटनाओं की संभावना घटेगी और ट्रैफिक जाम भी नहीं होगा।

4. व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा

तेज और सुगम परिवहन से माल ढुलाई सस्ती और तेज होगी।

एक्सप्रेसवे के आस-पास लॉजिस्टिक हब, वेयरहाउस, छोटे-छोटे औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो सकते हैं।

इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।