मोटे अनाजों की फसलों को बारिश के पानी से बचाने के लिए करें यह इंतजाम, क्या कहते है वैज्ञानिक

कृषि विशेषज्ञों को खरीफ की फसलों में लगने वाले कीटों, बीमारियों की चिंता सता रही है। वैज्ञानिक सलाह है कि मॉनसून की बारिश थमने के बाद मोटे अनाजों की फसलों में जमा वर्षा जल को तत्काल निकाल दिया जाए।

 

The Chopal: मॉनसून के विराम लेने के बाद अब कृषि विशेषज्ञों को खरीफ की फसलों में लगने वाले कीटों, बीमारियों की चिंता सता रही है। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक और नमामि गंगे परियोजना के राज्य सलाहकार डा. सीपी श्रीवास्तव ने किसानों को सलाह दी है कि मॉनसून की बारिश थमने के बाद मोटे अनाजों की फसलों में जमा वर्षा जल को तत्काल निकाल दिया जाए।

ज्वार, बाजरा, सांवा, कोदों, ककून, रागी आदि मोटे अनाजों की फसलों में जमा वर्षा जल तैयार होती फसल के लिए नुकसानदेह साबित होगा। डा. श्रीवास्तव ने धान की फसल लेने वाले किसानों से कहा है कि धान के खेतों में अगर पानी जमा है तो खेतों की निगरानी शुरू करें क्योंकि ऐसी अवस्था में धान की फसल में कई तरह के कीट और बीमारी लगने की आशंका बढ़ जाती है। कीटनाशकों व रसायनों का प्रयोग जरूरत पड़ने पर ही करें।

उन्होंने कहा कि यह समय धान की फसलों की टॉप ड्रेसिंग का है। टाप ड्रेसिंग में दानेदार यूरिया के बजाए किसान नैनो लिक्विड यूरिया के इस्तेमाल को प्राथमिकता दें इसके काफी अच्छे परिणाम आते हैं। छोटे व मझोले किसान यूरिया के बजाए गौमूत्र और गोबर से जीवामृत बनाकर उससे धान की टापड्रेसिंग करें।

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