देश के अधिकतर लोग नहीं जानते रेलवे ट्रैक और रेलवे लाइन में अंतर

Indian Railways :भारतीय रेलवे हमारे जीवन का एक प्रमुख हिस्सा है। यह देश में यात्रा करने का सबसे आसान और सस्ता साधन है। भारतीय रेल को लेकर कई ऐसी बातें है जो हम नहीं जानते। भारतीय रेलवे हमारे जीवन का एक प्रमुख हिस्सा है। यह देश में यात्रा करने का सबसे आसान और सस्ता साधन है। भारतीय रेल को लेकर कई ऐसी बातें है जो हम नहीं जानते।

 

The Chopal : भारतीय रेलवे हमारे जीवन और रोजमर्रा की चर्चाओं का एक आम हिस्सा है. देश के अधिकांश लोग ट्रैवलिंग के लिए रेलवे पर ही निर्भर करते हैं. इसलिए अक्सर लोग आपको रेलवे के बारे में चर्चा करते दिख जाएंगे. भारतीय रेलवे से जुड़ी कई ऐसी बाते हैं जिनके बारे में जानन के लिए लोग काफी उत्सुक रहते हैं. कई ऐसी भी बाते हैं जिनकी जानकारी या तो लोगों को थोड़ी कम है या फिर अधूरी है. ऐसा ही रेलवे नॉलेज रेल लाइन और ट्रैक की है जिसके बारे में लोगों को गलत जानकारी है.

लोग आमतौर पर रेलवे ट्रैक और लाइन को एक ही बात समझ लेते हैं. हालांकि, ऐसा है नहीं. ये दोंनों बेशक एक ही सिक्के के 2 पहलू हों लेकिन इनका अंतर बिलकुल साफ है. अगर आप फर्क जानते हैं तो बधाई और जो लोग नहीं जानते हैं वह आज यह लेख पढ़कर जान जाएंगे.

क्या है दोनों के बीच का अंतर

रेल लाइन रेलवे ट्रैक का आधार होती है. मसलन, अगर सरकारी की ओर से कहा जाएगा कि पटना से मुरादाबाद के बीच एक नई रेल लाइन बनेगी और इस लाइन पर ट्रैक बिछाने का काम अगले महीने से शुरू हो जाएगा. आप देख सकते हैं कि ये दोनों बातें एक साथ ही कही गईं लेकिन इनमें अंतर रखा गया. किसी भी लाइन का मतलब दो बिंदुओं के बीच की दूरी होती है. इसी तरह रेलवे लाइन भी एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट, यानी पटना से मुरादाबाद के बीच निर्धारित दूरी है जिस पर ट्रैक बिछाया जाएगा. रेलवे ट्रैक का मतलब रेल लाइन पर बिछी स्टील की पटरी, बैलैस्ट और स्लीपर होते हैं. इन तीनों को मिलाकर रेलवे ट्रैक बनता है.

रेल ट्रैक पर क्यो नहीं लगता जंग

ट्रेन की पटरी लोहे की नहीं बनी होती है. इसलिए सर्दी, धूर, बरसात झेलने के बावजूद उस पर कोई जंग नहीं लगती है. रेल की पटरी को स्टील से बनाया जाता है. यह स्टील भी खास तरह का होता है. इस स्टीम में मेंगलॉय को मिलाकर मैगनीज स्टील बनाया जाता है. इस स्टील पर नमी और ऑक्सीजन का कोई फर्क नहीं पड़ता है इसलिए लंबे समय तक यह पटरियां बिना जंग लगे चलती रहती हैं. आमतौर पर एक किलोमीटर रेल ट्रैक बिछाने पर 10-12 करोड़ रुपये का खर्च आता है. वहीं, हाई स्पीड ट्रेन के लिए बिछाए जा रहे ट्रैक के लिए प्रति किलोमीटर 100-140 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं.