हाईवे पर वाहन चालकों को रात में होगी आसानी, अंधरे में चमकेंगे मार्ग, किया जायेगा ये काम

Four lane routes : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा कि भारत का सड़क बुनियादी ढांचा (रोड इंफ्रास्ट्रक्चर) आने वाले समय में अमेरिका से बेहतर होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यवस्थित राजमार्ग, जलमार्ग और रेलवे रसद खर्च को कम कर सकते हैं और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं। 

 

Highways News : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा है कि आने वाले समय में भारत का सड़क बुनियादी ढांचा (रोड इंफ्रास्ट्रक्चर) अमेरिका से बेहतर होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कुशल राजमार्ग, जलमार्ग और रेलवे रसद लागत को कम कर सकते हैं और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं। उनका मानना है कि इस बुनियादी ढांचे में सुधार से भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई गति मिलेगी, जिससे व्यापार, यात्रा और औद्योगिकीकरण में वृद्धि होगी।

केंद्र सरकार ने राजमार्गों की नीति बनाई है। इसलिए प्रत्येक राज्य को तकनीक का उपयोग करने का आदेश दिया गया है। यह तकनीक अंधेरे में भी काम करती है। वहीं देश में 1.46 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। इनमें दो, चार, छह और आठ लेन की सड़कें हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए केंद्रीय सरकार ने वाइट टापिंग नामक नई तकनीक का उपयोग करेगा। यह तकनीक से वाहन बनाने की प्रक्रिया सस्ती है और चालकों के लिए अधिक फायदेमंद है। यह तकनीक अंधेरे वाले मार्गों पर चमकदार दिखती है और सड़क हादसों को कम करती है। राष्ट्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस तकनीक का उपयोग करने का आदेश दिया है।

सड़कों की औसत उम्र 20 से 25 वर्ष तक बढ़ जाती है

इसके लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और सड़क निर्माण से संबंधित सभी विभागों को पत्र भेजा गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को बताया कि देश में लगभग 1.46 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जिनमें दो, चार, छ: और आठ लेन के मार्ग आम लोगों द्वारा उपयोग किए जाते हैं। भविष्य में इन मार्गों को सुधारने के लिए नई तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। तकनीक की मदद से सड़कों की औसत उम्र 20 से 25 वर्ष तक बढ़ जाती है, जो बिटुमिन के प्रयोग से आज की सड़कों की तुलना में बहुत बेहतर है। इसके अलावा, बारिश ने नई तकनीक से निर्मित सड़कों की उम्र बढ़ा दी है। मार्गों की एक विशेषता यह है कि जब मार्ग पर वाहनों की लाइट पड़ती है, तो उनकी चमक से एक लेन में चलना आसान होता है।

ये राजमार्ग पर्यावरण के अनुकूल होंगे

रपट में बताया गया है कि ये मार्ग पर्यावरण के अनुकूल हैं और कोलतार (बिटुमिन) की तुलना में वाहन चलाते वक्त अधिक तेल बचता है। Indian Road Congress भी इस तकनीक का उपयोग करने की सिफारिश करती है। यही कारण है कि केंद्रीय सरकार भविष्य में नई तकनीक बनाने पर जोर देती रही है। मंत्रालय ने इस तकनीक के दायरे में आने वाले मार्गों को भी वर्गीकरण किया है। इस श्रेणी में किसी भी वन्य अभ्यारण्य या राष्ट्रीय पार्क के आसपास के मार्गों, बायपासों और बीस साल से ठेके के दायरे से बाहर रह गए मार्गों का प्रयोग होगा।

मंत्रालय के निदेशक बिधुर कांत झा ने इस तकनीक का उपयोग करने का लिखित आदेश जारी किया है। इन आदेशों को राज्य सरकारों के संबंधित विभागों के अतिरिक्त सचिवों को भी भेजा गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि नई तकनीक से सड़क की बीच की दरार भी ठीक की जाएगी। इसके अलावा सभी मार्गों पर तकनीक का प्रयोग होगा। मार्ग की मरम्मत या रखरखाव की प्रक्रिया वहां 80 प्रतिशत तक पूरी होगी। इसके बाद ही रास्ता आम लोगों के लिए खुला जाएगा।

सड़कों को अधिक टिकाऊ बनाता है

इस तकनीक से सड़क पर छह इंच की परत लगाई जाती है। इस तकनीक से सड़कें अधिक टिकाऊ बन जाती हैं और बार-बार मरम्मत की जरूरत नहीं होती। इस तकनीक पर अभी भी देश के दक्षिणी राज्यों में काम किया जा रहा है और इससे बनाई गई सड़कों की उम्र लगभग दस साल है। शुरुआत में, सड़क परिवहन मंत्रालय ने कुछ राजमार्गों पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया था। इसके बेहतर परिणामों को देखते हुए, इसे लागू करने का निर्णय लिया गया है।