करोड़ो रुपए वसूल कर चुके है नगर निगम के अफसर

 

जालन्धर: जालंधर नगर निगम में पहले 10 वर्ष अकाली-भाजपा और फिर 5 वर्ष कांग्रेस ने शासन किया। नगर निगम में 15 वर्ष का कार्यकाल भ्रष्टाचार और खुली लूट से भरपूर था। तब जालंधर नगर निगम का बिल्डिंग विभाग सबसे ज्यादा मलाईदार था, जिसमें कई अधिकारी अवैध बिल्डिंगों से लाखों रुपए वसूलते थे। अवैध इमारतों पर कार्रवाई बहुत कम होती थी, क्योंकि धन रुतबे के हिसाब से सेवादार से ऊपरी अफसरों तक बंटता था।

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खास बात यह है कि नगर निगम, खासकर बिल्डिंग विभाग में अभी भी भ्रष्टाचार का सिलसिला चल रहा है, जिससे शहर में अवैध निर्माणों की बाढ़ सी आई हुई है। नक्शा पास करवाकर घर या दुकान बनाना चाहने वाले लोगों को बहुत मुश्किल होता है, लेकिन जेब गर्म करके अवैध निर्माण को कुछ दिनों में बनाया जा सकता है।

अवैध निर्माणों 

हाल ही में जालंधर नगर निगम के बिल्डिंग विभाग के लगभग सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया गया था. यह तबादला कुछ महीने पहले लोकल बॉडीज विभाग ने किया था। माना जाता है कि अमृतसर और अन्य शहरों में बिल्डिंग विभाग के अधिकारियों ने जालंधर निगम के रिकॉर्ड में से कई फाइलों को गुम कर दिया या महत्वपूर्ण दस्तावेजों को निकाल दिया ताकि अवैध निर्माणों से जुड़े कई घोटालों को दबाया जा सके।

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गौरतलब है कि जालंधर निगम का बिल्डिंग विभाग लंबे समय से भ्रष्टाचार में लिप्त था। जालंधर निगम के बिल्डिंग विभाग ने पिछले चार वर्षों में अवैध बिल्डिंगों और कॉलोनियों के नाम से करोड़ों रुपये वसूले हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी इस मामले में कुछ नहीं किया, जिससे पुराने अधिकारी नए स्थानों पर जाकर भी पैसे लेते रहे।

हजारों चालान पैंडिंग और करोड़ों की व्यक्तिगत वसूली

जालंधर नगर निगम के बिल्डिंग विभाग में पिछले दस से पंद्रह वर्षों के दौरान लगभग दो दर्जन के करीब अधिकारी बार-बार तैनात रहे हैं और सभी मलाईदार पदों पर भी रहे हैं। बिल्डिंग विभाग द्वारा पिछले वर्षों में किए गए चालानों का रिकॉर्ड पूर्व निगम कमिश्नर दविंदर सिंह ने मांगा था। तब पता चला कि 2015 से 2021 तक 11 हजार से अधिक अवैध बिल्डिंगों के चालान काटे गए थे. इनमें से हजारों चालान अभी भी पड़े हुए हैं और सरकार को उनसे कुछ भी नहीं मिल रहा है। पिछले दो वर्षों के चालान अभी भी बकाया हैं।

चालान मैनेजमेंट सिस्टम भी ऑनलाइन होगा

साथ ही, नगर निगम के नए कमिश्नर डॉ. ऋषि पाल सिंह ने कहा कि निगम के चालान मैनेजमेंट सिस्टम को सुधार और ऑनलाइन बनाया जा रहा है, जिससे दबे हुए या लंबित चालानों का पता लगाया जा सकेगा। गौरतलब है कि निगम ने शहर के कई कॉलोनाइजरों पर FIR की सिफारिश की है, लेकिन संबंधित फाइलें दबी हुई हैं। इसी तरह, कई बिल्डगों को सील करने या तोड़ने के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन कोई भी काम नहीं हुआ है। नए कमिश्नर ने चालान काटकर सैटिंग करने की आदत छोड़ दी है। देखना है कि वह इस मामले में सफल होंगे या नहीं।