राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम पर मंडराया संकट, पिछली सरकार की यह योजना होगी बंद

राजस्थान में पुरानी पेंशन स्कीम पर संकट के बादल मंडराने शुरू हो गए है। राज्य में नई सरकार बनने के साथ ही पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
 

The Chopal, राजस्थान में पुरानी पेंशन स्कीम पर संकट के बादल मंडराने शुरू हो गए है। राज्य में नई सरकार बनने के साथ ही पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर सवाल उठने लगे हैं। चुनाव में कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन स्कीम पर कानून बनाने की गारंटी दी थी। जबकि भाजपा ने इस मामले पर संकल्प पत्र में कुछ नहीं कहा था। हालांकि पत्रकारों के सवाल पर गृह मंत्री अमित शाह ने यह जरूर कहा था कि हम इसके लिए कमिटी का गठन करेंगे। पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और कांग्रेस विधायक इंदिरा मीना ने सवाल लगाया है। वित्त विभाग से पूछा है।चिरंजीवी बीमा योजना के बाद गहलोत सरकार की पुरानी पेंशन योजना पर भी संकट के बादल मंडराने शुरू हो गए है। हालांकि, स्थिति 22 जनवरी को ही साफ हो पाएगी।

बीजेपी पुरानी पेंशन योजना के पक्ष में कभी नहीं रही है। ऐसा कोई वादा भी नहीं किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि पुरानी पेंशन योजना बंद हो सकती है। बता दें चिरंजीवी बीमा योजना के तहत 25 लाख रुपये तक इलाज की सुविधा है। लेकिन नए नवेले चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह ने इसे फर्जी और बोगस बता दिया है। वित्त मंत्री दीया कुमारी 22 जनवरी को विधानसभा में पुरानी पेंशन योजना पर सरकार की ओर से स्थिति स्पष्ट करेगी। कांग्रेस के दोनों विधायकों ने वित्त विभाग से पूछा है कि क्या सरकार पुरानी पेंशन स्कीम बंद कर नई पेंशन स्कीम लाना चाहती है? या पुरानी पेंशन स्कीम को ही जारी रखना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान में अशोक गहलोत ने राज्यकर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की थी।बाद में इसमें बोर्ड, निगम जैसे स्वायत संस्थाओं के कर्मियों को भी शामिल किया था, लेकिन नई सरकार बनने के बाद इस योजना पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि भाजपा इस मुद्दे पर अलग स्टैंड रखती है, इसलिए यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह योजना बंद होगी? विधानसभा सत्र में 22 जनवरी को वित्त मंत्री दीया कुमारी इस पर स्थिति स्पष्ट करेंगी। पुरानी पेंशन स्कीम पर भाजपा का स्टैंड साफ रहा है। भाजपा नई पेंशन स्कीम के पक्ष में रही है। हिमाचल और कर्नाटक में इस स्कीम को भाजपा की हार की प्रमुख वजह माना गया था, लेकिन फिर भी भाजपा ने इस योजना को लेकर अपना स्टैंड बरकरार रखा। इसके बावजूद तीनों राज्यों में भाजपा ने जीत दर्ज की है। चुनाव में भी भाजपा ने इसे अपने संकल्प पत्र में शामिल नहीं किया था। 

RBI की रिपोर्ट ने भी किया आगाह

ओल्ड पेंशन स्कीम के पक्ष में यह दलील दी जाती है कि यह सामाजिक सुरक्षा के लिए जरूरी है। 30-35 साल नौकरी करने वालों का बुढ़ापा सुरक्षित हो, यह सरकार की जिम्मेदारी है। इसके खिलाफ यह तर्क दिया जाता है कि इससे राज्य पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा इसलिए यह तर्कसंगत नहीं है। पिछले दिनों आरबीआई ने भी अपनी रिपोर्ट में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर आगाह किया था। आरबीआई ने कहा था कि कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने और कुछ अन्य राज्यों के भी इसी दिशा में आगे बढ़ने से राज्य के वित्त पर भारी बोझ पड़ेगा और आर्थिक वृद्धि को गति देने वाले लागत की उनकी क्षमता सीमित हो जाएगी। 

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