Property Dispute : बिना कानूनी मदद के जमीन से ऐसे हटवा सकता है अवैध कब्जा 

Illegal possession of property : भारत में घर और जमीन पर अवैध कब्जा आम है, लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है अगर किसी ने आपकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है। भारतीय संविधान में कई ऐसे कानून हैं जो आपकी संपत्ति को वापस दिलाने में मदद कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में स्पष्ट किया कि कुछ परिस्थितियों में आप अवैध कब्जा हटा सकते हैं बिना अदालत में जाए। हम जानते हैं: 

 

The Chopal, Illegal possession of property : हर व्यक्ति घर या जमीन खरीदना चाहता है, और इसके लिए वे अपनी पूरी कमाई लगा देते हैं। प्रॉपर्टी में निवेश करना सबसे सुरक्षित है क्योंकि पैसे या गहनों की तरह इसे चोरी नहीं किया जा सकता। लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि जमीन या मकान पर अवैध कब्जा हो जाता है, जिससे लोग परेशान हो जाते हैं और नहीं जानते कि क्या करें।

ऐसे मामले हाल के वर्षों में तेजी से बढ़े हैं, और कई संपत्ति विवाद अदालतों में लंबित हैं। लेकिन अब आपको डरने की जरूरत नहीं है। यदि किसी ने आपकी संपत्ति पर अवैध कब्जा कर लिया है, तो आप उसे बिना कोर्ट जाए और कानूनी सहायता के बिना भी हटवा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अवैध जमीन अधिग्रहण 

सुप्रीम कोर्ट ने जमीन पर अवैध कब्जे (illegal possession of land) से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने कहा कि मालिक को अपनी जमीन से अवैध कब्जा हटाने के लिए हमेशा अदालत पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। पूनाराम बनाम मोतीराम मामले में न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति गैरकानूनी रूप से किसी की संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकता। आप खुद कानून के तहत उचित कदम उठाकर या प्रशासनिक सहायता लेकर किसी ने आपकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है। यद्यपि, यह आवश्यक है कि आप उस संपत्ति के वास्तविक मालिक हों और उसके दस्तावेज आपके नाम पर हों।

सुप्रीम कोर्ट ने पूना राम बनाम मोती राम मामले में स्पष्ट किया कि अगर आपके पास संपत्ति का टाइटल है, तो आप 12 साल के बाद भी सरकारी मदद से जमीन से अवैध कब्जा हटवा सकते हैं, इसके लिए आपको अदालत में केस नहीं करना होगा। लेकिन आपको अदालत में केस करना होगा अगर संपत्ति 12 साल से अधिक समय से आपके नाम पर नहीं है। ऐसे मामलों में स्पेसिफिक रिलीफ अधिनियम, 1963 लागू होता है। अवैध कब्जा को इस अधिनियम की धारा 5 में हटाया जा सकता है। भूमि विवादों में, बेहतर है कि पहले स्टे ले लें ताकि मालिक उस पर कोई निर्माण या बेच न सके।

स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की पांचवीं धारा क्या कहती है? 

यदि आपके पास संपत्ति का टाइटल है और किसी ने उस पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है, तो आप सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के तहत अदालत में मुकदमा दायर कर सकते हैं।

भूमि अधिग्रहण का पूरा मामला जानें 

1966 में, राजस्थान के बाड़मेर जिले के पूना राम ने एक जागीरदार से कई जगह जमीन खरीदी थी। पूना राम ने अपनी जमीन पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें पता चला कि जमीन मोती राम नामक व्यक्ति के पास थी. मोती राम के पास जमीन के कोई कानूनी दस्तावेज नहीं थे, जिसे वह नामित करता था। यहाँ पूना राम ने अपनी जमीन वापस पाने के लिए कोर्ट का सहारा लिया। ट्रायल कोर्ट ने पूना राम का पक्ष लिया और मोती राम को जमीन खाली करने का आदेश दिया।

मोती राम ने राजस्थान हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए मोती राम के कब्जे को मान्यता दी। पूना राम इससे असंतुष्ट हुए और हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद स्पष्ट किया कि जमीन पर अधिकार पाने का पूरा हक मालिक को है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूना राम के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि जिस व्यक्ति के पास जमीन का टाइटल है, वह सरकारी सहयोग से छुटकारा पा सकता है, चाहे वह 12 साल पुराना क्यों न हो। मोती राम ने कहा कि जमीन पर 12 साल से अधिक समय से कब्जा है, और लिमिटेशन एक्ट की धारा 64 (धारा 64 of the Limitation Act) के अनुसार, ऐसे मामलों में कब्जा हटाया नहीं जा सकता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि यह कानून सिर्फ ऐसी जमीन पर लागू होता है जिनका कोई मालिक नहीं है। 12 साल बाद भी कब्जा हटवाया जा सकता है अगर जमीन का मालिक मौजूद है और उसके पास टाइटल है।