Pulses Price: केंद्र सरकार के इस फैसलें से आम जनता में खुशी की लहर 
 

Edible Oil : तुम्हारी थाली बहुत महंगी नहीं होगी। कल सरकार ने गरीबों की थाली को लेकर दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए। पहले, खाद्य तेलों के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती का निर्णय एक वर्ष और बढ़ा दिया गया। दूसरा, मसूर दाल के आयात पर शून्य कस्टम ड्यूटी एक साल और बढ़ा दी गई।

 

The Chopal, नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कल दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिससे गरीबों की आमदनी जारी रहेगी। पहले, खाद्य तेलों (Edible Oil) के आयात पर कस्टम ड्यूटी में पांच प्रतिशत की छूट का निर्णय एक वर्ष और बढ़ा दिया। बाद में मसूर दाल के आयात पर कस्टम ड्यूटी को शून्य रखने का निर्णय एक वर्ष के लिए और बढ़ा दिया गया। सरकार, भले ही उसके खजाने में कुछ कम पैसे आए, कोशिश करती है कि लोगों को उचित कीमत पर आवश्यक वस्तुएं मिलती रहें।

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क्या हुआ फैसला

सरकार ने अभी मसूर दाल पर आयात की शर्तो में राहत दी है, ताकि घरेलू बाजार में इसकी कीमत उचित रहे। सरकार ने मसूर दाल पर प्रभावी आयात शुल्क शून्य किया है। मार्च 2024 तक यह निर्णय लागू रहेगा। इस निर्णय को आज एक वर्ष और लागू किया गया। मतलब, मार्च 2025 तक यह कमोडिटी जीरो कस्टम ड्यूटी पर आयात किया जाएगा।

हम दालों में आत्मनिर्भर नहीं हैं

इसलिए हमने पिछले कुछ वर्षों में दालों का उत्पादन बढ़ा दिया है। अब तक का सर्वाधिक दलहन उत्पादन वर्ष 2022–2023 में 278.10 लाख टन था। लेकिन हमने इससे भी अधिक खपत की है। दुनिया भर में दाल उत्पादन में हमारी हिस्सेदारी लगभग २५ प्रतिशत है, जबकि खपत में २८ प्रतिशत है। इस तीन प्रतिशत के गैप को भरने के लिए हमें प्रति वर्ष लगभग २५ से २७ लाख टन दाल आयात करना होगा। म्यांमार और कनाडा हमारे कुल दाल आयात का पचास प्रतिशत हिस्सा हैं। सालाना करीब पांच लाख टन मसूर दाल केवल कनाडा से आते हैं। इसके अतिरिक्त इसके अलावा अरहर, चना, उड़द और मूंग की दाल का भी आयात कनाडा से होता है।

खाद्य तेलों का फैसला

केंद्र सरकार ने कल खाद्य तेल के आयात पर लागू सीमा शुल्क में कटौती को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया ताकि खाद्य तेल की कीमतों को नियंत्रित किया जा सके। वास्तव में, इसी साल जून में केंद्र सरकार ने क्रूड पाम, क्रूड सनफ्लावट और क्रूड सोयाबीन तेल पर कस्टम ड्यूटी में पांच फीसदी की कटौती करके घरेलू बाजार में एडिबल ऑयल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित किया। इन खाद्य तेलों पर उस समय 15.5 प्रतिशत की कस्टम ड्यूटी लगती थी। इसे कम करके 12.5 कर दिया गया था। मार्च 2024 तक यह निर्णय लागू था। अब सरकार ने छूट को एक साल और बढ़ा दिया।

खाद्य तेलों के आयात पर कुछ अधिक निर्भरता

तो हमें बाहर से बहुत कम दाल मंगाना पड़ता है। खाद्य तेलों में, हालांकि, हम आयात पर बहुत निर्भर हैं। हम आयातित एडिबल ऑयल से अपनी 60 प्रतिशत आवश्यकता पूरी करते हैं। पाम ऑयल का आयात सबसे अधिक है। हम हर साल आयात करने वाले खाद्य तेल में से लगभग 60% पाम ऑयल है। इसलिए घरेलू बाजार में आयातित खाद्य तेल महंगा हो जाएगा अगर इस पर अधिक कस्टम ड्यूटी लगाई जाती है।

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