Railway: इस रेलवे स्टेशन पर सालभर पसारा रहता है सन्नाटा, 12 महीने में 2 बार चलती है ट्रेन

North Railway :भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां पर नार्दर्न रेलवे की हद समाप्त हो जाती हैं। रेलवे के इस अंतिम छोर तक अब शहीद दिवस पर ही साल में एक बार ट्रेन चलती है। एक समय यहां से रेल हुसैनीवाला से होकर लाहौर तक जाती थी, पर पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के दौरान यह रेल मार्ग बंद कर दिया गया है।

 

Firozpur to Hussainiwala Railway Line : शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज 117वीं जयंती है। क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसी रेलवे लाइन है, जहां भगत सिंह की याद में केवल एक बार ट्रेन चलती है। शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज 117वीं जयंती है। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले (अब पाकिस्तान) के बंगा गांव में हुआ था। 

हुसैनीवाला गांव में किया गया था अंतिम संस्कार

भगत सिंह 23 साल की उम्र में साल 1931 में फांसी के फंदे में झूल गए थे। उनका अंतिम संस्कार पंजाब के हुसैनीवाला गांव में किया गया था। यहां पर उनकी समाधी भी बनाई गई। हालांकि, बंटवारे के वक्त ये जगह पाकिस्तान में चली गई थी।

लाहौर तक जाती थी रेल लाइन

फाजिल्का के 12 गांव व सुलेमान की हेड वर्क्स पाकिस्तान को देने के बाद समाधी स्थल को भारत से जोड़ा गया था। फिरोजपुर की रेल लाइन हुसैनीवाला से पहले लाहौर तक जाती थी। हालांकि, पाकिस्तान से युद्ध के बाद इस रेल लाइन को बंद कर दिया।  1965 और 1971 की जंग के बाद स्टेशन नष्ट हो गया।

साल में दो बार चलती है ट्रेन

सालभर में केवल दो बार फिरोजपुर से हुसैनीवाला बॉर्डर के लिए ट्रेन चलती है। एक बार बैसाखी के मौके पर। दूसरी बार 23 मार्च भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की पुण्यतिथि के दिन। 23 मार्च को भगत सिंह की समाधि स्थल पर हर साल मेला लगता है।  फिरोजपुर से हुसैनीवाला तक रेल लाइन खत्म हो जाती है। रेलवे ट्रैक भी ब्लॉक कर दिया है। इसमें लिखा है- 'The end of northern railways'