रेलवे और सड़क मंत्रालय मिलकर समाधान निकालेंगे, जमीन अधिग्रहण में नहीं आएगी दिक्क़त
Railway Ministry: भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना (PM GatiShakti) जैसी मल्टी-मोडल इंटीग्रेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं तभी प्रभावी हो सकती हैं जब संबंधित मंत्रालयों और एजेंसियों के बीच समन्वय और सहयोग बेहतर हो।

The Chopal : सड़क परिवहन एवं राजमार्ग से संबंधित संसद की स्थायी समिति में भी मंत्रालयों के बीच तालमेल और समन्वय की कमी का मुद्दा उठाया गया था, खासकर पीएम गतिशक्ति में शामिल परियोजनाओं में। समिति ने मंत्रालय से कहा कि वह खासकर रेलवे के साथ समन्वय को बेहतर करे ताकि राष्ट्रीय महत्व के कामों में भी गैरजरूरी देरी न हो सके। रेलवे और सड़क परिवहन मंत्रालय ने जमीन सहित कई अन्य मामले में खींचतान को समाप्त करने के लिए नए सिरे से एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
पीएम गति शक्ति के तहत बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में आने वाली बाधाओं को दूर करने में इस सहमति पत्र की मदद मिलेगी। पिछले नवंबर में, दोनों मंत्रालयों ने भी नेशनल हाईवे कॉरिडोर में रोड ओवर और रोड अंडर ब्रिजों को बनाने के लिए एक समान सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
मंत्रालय मिलकर समाधान निकालेगा
अब जमीन सहित अन्य मुद्दों को लेकर भी अनुबंध किया गया है। नए सौदे में एक-दूसरे की जमीन लेने की प्रक्रिया को और आसान और जल्दी बनाया गया है। साथ ही, दोनों मंत्रालय प्रोजेक्ट स्तर पर समन्वय के लिए समितियों का गठन करेंगे और विवाद वाली स्थितियों में मिलकर समाधान तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। सहमति पत्र के अनुसार, अगर सड़क परिवहन मंत्रालय या एनएचएआई को हाईवे निर्माण के लिए रेलवे की जमीन चाहिए, तो उसे ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा और रेलवे 90 दिनों के भीतर जमीन सौंप देगा। रेलवे की आवश्यकताओं पर भी यही प्रक्रिया लागू होगी।
साझा पोर्टल बनाया जाएगा
रेलवे को ऑफलाइन आवेदन करना होगा क्योंकि सड़क परिवहन मंत्रालय के पास अभी ऐसा कोई पोर्टल नहीं है। जमीन की पहचान दोनों मंत्रालयों की एक संयुक्त टीम 15 दिनों के भीतर करेगी।
जमीन, आरओबी और आरयूबी के मामलों को हल करने के लिए दोनों मंत्रालयों ने हर दो महीने समीक्षा बैठक भी बुलाई हैं। इसके अलावा, दोनों मंत्रालय मिलकर एक पोर्टल बनाएंगे जिसमें इन मामलों को दर्ज किया जा सकेगा।