Haryana के 1948 गांवों के लिए हुआ चौकने वाला खुलासा, 14 जिलों की स्थिति गंभीर
Haryana News : हरियाणा में भूजल संकट का मुद्दा बहुत गंभीर बनता जा रहा है। ताजा जानकारी के मुताबिक हरियाणा के 1948 गांव के लिए चुकाने वाला खुलासा सामने आया है। पढ़ें पूरी खबर
The Chopal : हरियाणा प्रदेश में लगातार भूमि के पानी का मुद्दा बड़ा चिंतित करने वाला। हरियाणा की जिलो की स्थिति बद गंभीर है। हरियाणा के 1948 का रेड जॉन में पहुंच गए हैं। हरियाणा में भूजल की निरंतर कमी से 14 जिलों में हालात गंभीर हैं। यही नहीं, 1948 में गांव रेड जोन में शामिल हो गए हैं। इसके अलावा, 141 खंडों में से 85 ब्लॉकों को डार्क जोन घोषित किया गया है। प्रदेश की जल संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, सभी जिला अधिकारियों को वर्ष 2025 तक इसमें सुधार करने का आदेश दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के चौबीस जिलों में भूजल स्तर 30 मीटर से भी नीचे गिर गया है।
यही कारण है कि प्रदेश को हर साल 14 लाख करोड़ लीटर पानी की कमी से जूझना पड़ता है, जिसमें सिर्फ 20.93 लाख करोड़ लीटर पानी उपलब्ध है और 34.96 लाख करोड़ लीटर पानी चाहिए। पानी की मांग अगले दो वर्षों में 9.63 लाख करोड़ लीटर बढ़ने का अनुमान है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बताया कि प्रदेश के 40,392 वर्ग किलोमीटर में से 24,773 वर्ग किलोमीटर, या 61 प्रतिशत क्षेत्र में भूजल का अत्यधिक दोहन हो रहा है।
दक्षिणी हरियाणा में जीटी बेल्ट के साथ पानी की उपलब्धता लगातार घट रही है। विशेष रूप से अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, हिसार, झज्जर, भिवानी, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, सिरसा, सोनीपत, पानीपत और जींद में हालात गंभीर हैं। आज कुल 141 खंडों में से 85 ब्लॉक डार्क जोन में हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक समस्याएं हैं। 7287 गांवों में से केवल 1304 ग्रीन जोन में हैं, जबकि 6150 गांवों में भू-जलस्तर लगातार गिर रहा है।
फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा से जूझ रहे 136 गांव
20 जिलों के 136 गांव भूजल में प्रचुर मात्रा में फ्लोराइड से जूझ रहे हैं। भिवानी के लोहारवाला गांव में पानी में फ्लोराइड का स्तर 22 मिलीग्राम/लीटर था, जो मानक सीमा से 15 गुना अधिक था। विशेषज्ञों का कहना है कि 1.5 मिलीग्राम/लीटर से अधिक फ्लोराइड सांद्रता वाले पानी को नहीं पीना चाहिए। पानीपत के अटावला और जींद के उचाना में भी भूजल में बहुत अधिक फ्लोराइड है। भूजल में अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा बढ़ने से ब्लड प्रेशर, पथरी, दिमागी कमजोरी, शरीर में दर्द, पेट के रोग और पीलिया की शिकायतें बढ़ी हैं। पेयजल में अशुद्ध पदार्थों के मिश्रण (TDS), जैसे सोडियम, मैग्नीशियम, मरकरी, नाइट्रेट और पैरागान की मात्रा 1000 से 2000 के घातक स्तर पर पहुंच गई है, जबकि TDS 200 से 300 प्रति लीटर मिलीग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।