Supreme Court : सरकार की जमीन पर कब्जा करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का एक जरुरी फैसला

सरकारी ज़मीन पर अब अगर किसी पंचायत मेंबर या उसके परिवार ने क़ब्ज़ा किया तो पंचायत मेंबर की कुर्सी नहीं रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी जमीन पर अतक्रिमण करने के एक मामले में सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि अगर कोई ग्राम पंचायत सदस्य या उसका परिजन सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करता है तो उसकी सदस्यता को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए
 

The Chopal : सरकारी ज़मीन पर अब अगर किसी पंचायत मेंबर या उसके परिवार ने क़ब्ज़ा किया तो पंचायत मेंबर की कुर्सी नहीं रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी जमीन पर अतक्रिमण करने के एक मामले में सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि अगर कोई ग्राम पंचायत सदस्य या उसका परिजन सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करता है तो उसकी सदस्यता को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए
 
शीर्ष अदालत ने मुंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले पर मुहर लगा दी है, जिसमें सुप्रीमकोर्ट में अपील करने वाले ग्राम पंचायत सदस्य की सदस्यता इस आधार पर रदद कर दी गई थी कि जिसके परिजनों ने सरकारी जमीन पर अतक्रिमण किया हुआ था.

ये मामला महाराष्ट्र के ग्राम पंचायत कलंबा महाली का है. आरोप था कि महिला ग्राम पंचायत सदस्य के पति व ससूर ने 1981 से एक सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ था. इस ज़मीन का इस्तेमाल पंचायत सदस्य भी कर रही थी. इस मामले में 2012 में अतिरिक्त आयुक्त द्वारा जांच की गई थी तो पता लगा कि पंचायत ने जमीन खाली कराने के लिए सदस्य के पति को नोटिस दिया था.

जिसके जवाब में न सिर्फ सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की बात स्वीकार की गई बल्कि उसे सही भी ठहराया गया. आरोपी पंचयात सदस्य इस मामले में अपना बचाव करने में नाकाम रही और बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसकी सदस्यता को खारिज करने का फैसला सुनाया.

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, कई सुनवाई के बाद सुप्रीमकोर्ट  ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए पंचायत सदस्य की उसकी पंचायत सदस्यता को बहाल करने की मांग ठुकरा दी. हालांकि पंतायत मेंबर के वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दलील दी कि अतिक्रमण पंचायत सदस्य द्वारा नही किया गया है, इसलिए उसकी सदस्यता रद्द करने का फैसला गलत है. सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को ठुकराते करते हुए कहा कि इस अपील में कोई मेरिट नही है यानि कि सरकारी जमीन पर क़ब्ज़ा या अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं. 

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