Supreme Court ने ससुराल वालों को दी गुड न्यूज, वहीं दुल्हन को लगा झटका

Supreme Court - सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने निर्णय दिया कि ससुराल में लड़की से दुर्व्यवहार करने का मामला दहेज उत्पीड़न नहीं माना जा सकता। अंत तक खबरों से जुड़े रहें, ताकि आप कोर्ट के फैसले की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें। 

 

The Chopal : कर्नाटक में दहेज उत्पीड़न को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने केस की सुनवाई के दौरान कहा कि ससुराल में लड़की से बुरा व्यवहार करने का मामला दहेज उत्पीड़न नहीं हो सकता। पीठ ने कहा कि आईपीसी की धारा 498 ए के तहत आरोपी को क्रूरता करने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि शिकायतकर्ता के वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप या भागीदारी का कोई फिजिकल सबूत नहीं है। हाल ही में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने इसे स्पष्ट किया।

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कर्नाटक की एक महिला ने अदालत में अपील की थी, जिसमें उसकी नवविवाहित भाभी ने उसे अभद्र भाषा बोलने और उसके निजी सामान को कूड़ेदान में फेंकने का आरोप लगाया था। ध्यान दें कि धारा 498ए कहती है, "जो कोई भी, किसी महिला का पति या पति का रिश्तेदार होते हुए, ऐसी महिला के साथ क्रूरता करेगा, उसे तीन साल की कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा।

बेंच ने निर्णय दिया कि आरोपी महिला अपनी भाभी के साथ उसी घर में नहीं रहती थी। वास्तव में, महिला विदेश में रहती थी। अदालत ने निर्णय दिया कि भाई की पत्नी ने महिला द्वारा अपने ऊपर की गई क्रूरता के बारे में कोई विशिष्ट जानकारी नहीं दी थी। पीठ ने कहा कि 2022 में ही महिला के भाई ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था। उसकी भाभी ने उसके खिलाफ बहुत सामान्य और अस्पष्ट आरोप लगाए थे। हम अपीलकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हैं, जैसा कि अदलात ने आदेश दिया। हम स्पष्ट करते हैं कि यदि साक्ष्य की रिकॉर्डिंग के दौरान कोई भी जानकारी रिकॉर्ड पर आती है, तो ट्रायल कोर्ट को कानून के अनुसार आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।

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