UP में बिजली चोरी रोकने के लिए विभाग ने उठाया यह कदम, बिजली चोरों अब नहीं कर सकेंगे चोरी
UP Smart Meter : अब घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को अधिक बिल देने की समस्या से छुटकारा दिलाएगा। सप्ताह भर बाद सर्वे शुरू होगा। शहर और आसपास के क्षेत्रों में बिजली उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। इससे बिजली के बिल में गड़बड़ी नहीं होगी। राज्य में चार विद्युत वितरण खंड हैं。 यह प्रथम वितरण खंड (सदर एवं पट्टी) कुंडा लालगंज व रानीगंज को शामिल करता है।
अब घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं के यहां अधिक बिल आने की समस्या नहीं रहेगी। सप्ताह भर बाद सर्वे शुरू होगा। शहर और आसपास के क्षेत्रों में बिजली उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। इससे बिजली के बिल में गड़बड़ी नहीं होगी। राज्य में चार विद्युत वितरण खंड हैं。 इसमें कुंडा, लालगंज और रानीगंज वितरण खंड प्रथम (सदर एवं पट्टी) शामिल हैं। यहां लगभग साढ़े चार लाख लोग बिजली का उपयोग करते हैं। मीटर इन सभी उपभोक्ताओं को बिजली का बिल देता है। मीटर रीडर घर-घर जाते हैं और ग्राहकों को बिल देते हैं।
ये पढ़ें - UP में बिजली बिल के बकायेदारों की हुई मौज, अब मिलेगा यह लाभ, हुआ बदलाव
हर माह आता है 30 करोड़ रुपये बिजली बिल
बिजली विभाग ने बताया कि बिजली बिल प्रति माह 30 करोड़ रुपये आते हैं। बिल अधिकांश समय पर आते हैं। बिल की रीडिंग निकालने के लिए 10 हजार 192 मीटर रीडर हैं। शासन ने बिजली चोरी को रोका है। दक्षिण भारत की JMR संस्था के कर्मचारी फरवरी में घर-घर जाकर सर्वे करेंगे। सर्वे रिपोर्ट को विभाग में भेजने के बाद स्मार्ट मीटर काम करना शुरू होगा। मीटर के लगने से अधिक बिल आना, बिल जमा होने के बाद भी बकाया दिखना आदि समस्याओं का समाधान स्वत: हो जाएगा।
ये पढ़ें - UP : प्रदेश में मकान और दुकान का नक्शा पास कराने के बदले नियम, फीस के लिए तारीख निर्धारित
स्मार्ट मीटर लगाने से विद्युत चोरी भी कम हो सकेगी। जनपद के सभी उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट लगाया जाना चाहिए, मुख्य अभियंता (प्रयागराज मंडल) विश्वजीत अंबरदार ने बताया। इसमें एक संस्था को सर्वे करना कहा गया है। मीटर फरवरी से काम करना शुरू हो जाएगा।
घर-घर रीडिंग निकालकर देंगे बिल
स्मार्ट मीटर स्थापित होने के बाद, मीटर रीडर घर-घर बिल निकाल लेंगे, लेकिन उपभोक्ताओं को बिल देंगे। वह इस बिल का भुगतान उपकेंद्रों पर जाकर या ऑनलाइन करेंगे। फिर भी, नए मीटर लगने से कर्मचारियों की अवैध कमाई भी नियंत्रित होगी।