UP के इस शहर में हाईटेक टाउनशिप का सपना होगा साकार, 8 गांवों के जमीन अधिग्रहण को मिली मंजूरी
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में जल्द ही हरनंदीपुरम टाउनशिप का निर्माण शुरू किया जाएगा। स्ट्रांग शिव के लिए गाजियाबाद के आठ गांव की जमीन का अधिग्रहण करने की मंजूरी मिल चुकी है। अब जीडीए द्वारा उन किसानों की जमीन का अधिकरण किया जाएगा जहां पर सहमति नहीं बन पाई है.
Harnandipuram Yojna Ghaziabad: गाजियाबाद में बनाई जा रही हरनंदीपुरम टाउनशिप योजना का काम अब तेजी पकड़ने वाला है। मेरठ में मंगलवार को हुई गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) की बोर्ड बैठक के दौरान इस टाउनशिप के लिए आठ गांवों की जमीन अधिग्रहण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अब जीडीए उन किसानों की जमीन का अधिग्रहण करेगा, जिनसे अभी तक सहमति नहीं बन पाई थी।
डीएम की अध्यक्षता में होगा भूमि अधिग्रहण
जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने बताया कि हरनंदीपुरम के लिए भूमि दरों पर फैसला लेने के लिए डीएम की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। यह समिति भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के अनुसार डीएम सर्किल रेट से चार गुना ज्यादा दर पर मुआवजा तय करेगी। हालांकि, अभी तक किसानों से सहमति बनाने की प्रक्रिया धीमी थी, इसलिए अब अधिग्रहण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इस योजना दो चरणों में पूरी होगी और इसके लिए कुल 489.99 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।
इन गांवों की जमीन ली जाएगी
योजना के पहले चरण में मथुरापुर, शमशेर, चम्पतनगर, भनेड़ाखुर्द, और नंगला फिरोज मोहनपुर गांव शामिल हैं। दूसरे चरण में भोवापुर (53 हेक्टेयर), शाहपुर निज मोरटा (66 हेक्टेयर) और मोरटा गांव (5 हेक्टेयर) की जमीन ली जाएगी।
लोगों को मिलेगा फायदा
यह योजना गाजियाबाद और दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगी। जो लोग अपना घर बनाने का सपना देख रहे हैं, उनके लिए यह योजना एक बड़ा मौका साबित होगी। शहर से बाहर बनने के कारण यहां घर किफायती होंगे और इनमें आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
पूरी टाउनशिप होगी हाईटेक
यह नई टाउनशिप (New Township) पूरी तरह से हाईटेक सुविधाओं से लैस होगी। इसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (Rain Water Harvesting) होगा और ड्रेनेज व सीवरेज सिस्टम (Sivrage System) पर निगरानी के लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा। पानी और बिजली बचाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जाएगा। यहां का जल प्रबंधन सिस्टम पूरी तरह से एआई आधारित होगा, जिससे पानी की बर्बादी रुकेगी और लीकेज का भी तुरंत पता चल जाएगा।