खाद-पानी पर बिना खर्चा किए बंजर जमीन पर कर सकते है इन फसलों की खेती, किसानों को होगा डबल फायदा
आज हम बंजर भूमि पर भी उग सकने वाले फसलों की बात करेंगे। ये फसलें शरीर के लिए बहुत अच्छी हैं। इसमें कई औषधीय गुण भी हैं। यह बिकता हुआ बहुत महंगा है। इसकी खेती करने से किसान लाभ उठा सकते हैं।
The Chopal, New Delhi : रागी इस छोटे, सुंदर अनाज का नाम है। जैसा कि कृषि रसायन विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया, यह छोटा अनाज रागी शरीर के लिए बहुत अच्छा है। बड़े-बड़े होटलों में रागी की खीर बहुत प्रसिद्ध है। इसकी खेती बहुत आसान है। हम भी खुद इसकी खेती की है। मात्र जुताई, बुवाई और कटाई करने से इस फसल में कोई खर्च नहीं होता। यह हर तरह की जमीन पर उग सकता है।
सांवा यह छोटा अनाज है। इसकी खेती में अविश्वसनीय लाभ है। इसमें बहुत अधिक लाभ और कोई खर्च नहीं है। यह भी खराब जमीन पर उगता है। इसकी खीर स्वादिष्ट होती है और शरीर के लिए बहुत अच्छी है। यह अनाज देखने में सुंदर है, लेकिन इसका काम भी उतना ही सुंदर है। इसकी खेती कर किसान लाभ उठा सकते हैं।
टी. डी. कॉलेज बलिया के मृदा व कृषि रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि इस छोटे अनाज को कंगनी कहा जाता है। इसकी खेती पहले बहुत होती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह कम उगाई जा रही है। हम लोगों ने इसे उगाया है। इसकी खेती करने से किसान लाभ उठा सकते हैं। क्योंकि इसमें कोई खर्च नहीं है, कोई काम नहीं है और बहुत कम मुनाफा मिलता है। अपने आप में, यह अनाज कई औषधीय और आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है।
बलिया के कृषि और मृदा विभाग के विशेषज्ञों ने भी किसानों के हित में इस प्राचीन खेती पर अध्ययन किया है। शोध से पता चला है कि यह किसी भी तरह की जमीन पर बोया जा सकता है। यह बाजार में काफी महंगा है। शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें फाइबर और कैल्शियम है। इस छोटे अनाज को मडुआ कहते हैं। डोसा, इडली, हलवा और खीर इससे बनाए जाते हैं। इसका आकार उंगलियों की तरह है। फिंगर मिलेट्स है। ऊपर बताए गए चारों फसलों को बंजर जमीन पर भी खेला जा सकता है।
यह गजेंद्र 01 प्रजाति का सूरन है, खाने योग्य, विशेषज्ञ प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया। इसकी खेती करने से किसान लाभ उठा सकते हैं। इसकी खेती खाद उर्वरक के बिना होती है। 6 महीने की खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। अध्ययन में यह लगभग साढे चार किलो का था। 1 बीघा में 100 क्विंटल सूरन का उत्पादन किया जा सकता है, यानी इसकी कीमत लगभग ₹40 प्रति किलो बजार में है। जिसका मूल्य कम से कम चार लाख रुपये होगा। इसकी खेती केवल उपजाऊ जमीन पर संभव है।
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