किसानों के लिए फायदेमंद गौमूत्र, गोबर व नीम से बना ये पेस्टिसाइड, इन फसलों में करें इस्तेमाल
Agriclture : आज के दौर में शुद्ध चीजें मिलनी सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। हर चीजों में मिलावट है। यहां तक की खेती भी इससे अछूती नहीं है। फसलों में भी कीटनाशक दवाएं और रासायनिक खाद अंधाधुंध मिलाया जा रहा है जिससे पैदा अनाज सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है।
The Chopal, Agriclture : आज के दौर में शुद्ध चीजें मिलनी सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। हर चीजों में मिलावट है। यहां तक की खेती भी इससे अछूती नहीं है। फसलों में भी कीटनाशक दवाएं और रासायनिक खाद अंधाधुंध मिलाया जा रहा है, जिससे पैदा अनाज सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है। इसे देखते हुए तीन किसानों ने नीम कीट नियंत्रक का बनाया, जो पूरी तरह से देसी पद्धति पर है। इसे गोमूत्र, नीम की पत्ती और लहसुन मिलाकर बनाया जाता है। जैविक कीट नियंत्रक इनता मारक है कि छिड़काव करते ही कीट भाग जाते हैं। सबसे अच्छी बात है कि यह फसल, खेत की मिट्टी किसी के लिए हानिकारक नहीं है। इससे पैदा हुआ अनाज सेहत के लिए काफी अच्छा होता है।
फफूंदी, बैक्टीरिया, विषाणु और वनस्पति पर आधारित जैविक कीटनाशक नीमास्त्र फसलों, सब्जियों और फलों में लगने वाले कीटों और रोगों से सुरक्षित कर उत्पादन बढ़ाता है. जैविक कीटनाशक से इंसान की सेहत पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता, वहीं इसके अलावा मृदा स्वास्थ्य को भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. खास बात यह है कि यह बेहद सस्ता होता है. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के वैज्ञानिक डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि नीमास्त्र बहुत ही सस्ता और उपयोगी होता है. नीमास्त्र फलों और सब्जियों को कीटों से बचाता है और उत्पादन बढ़ाने में भी मदद करता है.
नीमास्त्र तैयार करने की विधि
नीमास्त्र बनाने के लिए 5 किलो नीम की पत्ती या फली, 5 किलो देशी गाय का गोबर और 5 किलो मूत्र की जरूरत पड़ेगी. इस सामग्री को एकत्रित करने के बाद नीमास्त्र बनाने के लिए सबसे पहले नीम के पत्तों और सूखे फलों को कूटा जाता है. इसके बाद इसमें पानी मिलाया जाता है. इसमें फिर गाय का गोबर और गौमूत्र मिलाया जाता है. इस घोल को छाया में ही रखना अच्छा माना जाता है. दो दिन के बाद इसको महीन कपड़े से छान लें. फसल, फल या सब्जी में कीट लगे हो तो वहां इसका छिड़काव करें. छिड़काव करने से 100 % फायदा होगा.
इन फसलों में करें प्रयोग
नीमास्त्र रासायनिक कीटनाशकों के मुकाबले बेहद सस्ता होता है. इतना ही नहीं यह मानव जीवन के लिए भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. बल्कि इसका छिड़काव करने से तैयार हुई उपज पूरी तरह से जैविक होगी. नीमास्त्र का इस्तेमाल आलू, गन्ना, धान और गेहूं सहित सब्जियों पर भी किया जा सकता है.
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