इंडस्ट्री हब बन रहा Bihar का ये जिला, मुंबई की तरह बनाने के लिए बड़ी बड़ी कंपनियों को किया आमंत्रित

मुजफ्फरपुर बनेगा बिहार में नई औद्योगिक क्रांति लिखने जा रहा है। नई औद्योगिक नीति की वजह से शहर में उद्योगों के लगने का सिलसिला जारी है। बेला औद्योगिक एरिया में कई इंडस्ट्री लगाई जा रही है। उसके अलावा नई कंपनियां भी मुजफ्फरपुर में अपना प्लांट लगा रही हैं।
 

The Chopal : भारत में निवेशकों के लिए सबसे बेहतर उद्योग नीति होने के बावजूद इसकी सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य बिहार में उद्योग की भारी कमी है। जिसे लेकर अब बिहार में केवल 30 दिनों के अंदर सिंगल विंडो के तहत उद्योग निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दी जाती है। इसके अलावा उद्योग स्थापना के लिए भी सरकार बिजली, जमीन और अनुदान सुविधाएं उपलब्ध कराती है। इन सब सुविधाओं और बेहतरीन उद्योग नीति होने के कारण बिहार में उद्योग स्थापित हो पा रहे हैं। बिहार सरकार ने राज्य में निवेश के लिए कई तरह की योजनाए भी शुरू की हैं जिससे जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का विशेष फ़ायदा होता दिखाई दे रहा है।

मुजफ्फरपुर में बढ़ी फैक्ट्रियों की संख्या

मुजफ्फरपुर के बेला औद्योगिक क्षेत्र में 292 फैक्ट्रियां हैं। इनमें से कुछ सरकारी विभागों के कार्यालय भी शामिल हैं। हालांकि 292 में से 55 फैक्ट्रियां बंद हैं। इसमें से कई के जमीन आवंटन को रद्द कर दिया गया है। जबकि 34 फैक्ट्रियां निर्माणाधीन हैं। वहीं दो फैक्ट्रियों के निर्माण कार्य अभी लंबित हैं। बेला में जमीन खत्म होने से नई फैक्ट्री स्थापित नहीं हो पा रही है। जबकि नई फैक्ट्रियों के लिए लगातार बियाडा के पास आवेदन पहुंच रहे हैं। जिसे लेकर शहर के बेला औद्योगिक क्षेत्र में नई फैक्ट्रियां लगाने के लिए जमीन खत्म हो जाने के बाद अब सरकार और उद्योग विभाग के स्तर से मोतीपुर में वर्षों से बंद चीनी मिल की जमीन पर नया औद्योगिक क्षेत्र बसाया गया है। मोतीपुर में औद्योगिक क्षेत्र बसाने के लिए पर्याप्त सरकारी जमीन, रेल यातायात, फोरलेन सड़क, बिजली, पानी और अन्य इंफ्रास्ट्रक् पहले से उपलब्ध थे।

उत्तर बिहार का होगा विकास

मुजफ्फरपुर के अलावा उत्तर बिहार के कई प्रमुख जिलों के मध्य बसे होने के कारण मोतीपुर में नया औद्योगिक क्षेत्र स्थापित होने से जिले के पश्चिमी इलाके का तेजी से विकास हो रहा है। हजारों युवाओं को रोजगार मिल रहा है। उद्योग विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर एक साल पूर्व अधिकारियों की देखरेख में जमीन का सर्वे किया गया था। इस सर्वे में उद्योग विभाग के साथ चीनी निगम के अधिकारी भी थे। चीनी मिल के जिम्मे करीब एक हजार एकड़ जमीन है। बिहार औद्योगिक विकास प्राधिकार (बियाडा ) जमीन का अधिग्रहण करने के बाद उद्यमियों और युवाओं को फैक्ट्रियां स्थापित करने के लिए आमंत्रित कर यहां बेला औद्योगिक क्षेत्र से भी बेहतर सुविधाएं दे रहा है। आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर के पूर्व सांसद जॉर्ज फर्नांडिस मुजफ्फरपुर को मिनी मुंबई कहते थे। उनका सपना था कि जैसे देश की आर्थिक राजधानी मुंबई है वैसे ही बिहार की आर्थिक और औद्योगिक राजधानी मुजफ्फरपुर बने।

'लौटेगी पहले वाली रौनक'

मुजफ्फरपुर को मुंबई की तरह बनाने के लिए उन्होंने तब कई बड़ी कंपनियों को मुजफ्फरपुर आमंत्रित किया और जिले के विकास के लिए कांटी थर्मल आईडीपीएल दूरदर्शन केंद्र की स्थापना कराई। मुजफ्फरपुर, रेल डब्बा बनाने का कारखाना के साथ ही कई कारखाने खुले थे। 90 के दशक में मुजफ्फरपुर मिनी मुंबई बने या ना बने मिनी नरेश की भूमि जरूर बन गई। बिजली नहीं रहने, रंगदारी और ट्रेड यूनियनों की मनमानी के कारण मुजफ्फरपुर के ज्यादातर फैक्ट्रियां बंद हो गईं और औद्योगिक क्षेत्र वीरान पड़ गए। बाद के दिनों में कुछ फैक्ट्रियां खुली तो जरूर पर उद्योग विभाग के द्वारा सब्सिडी पर जमीन लेकर कुछ दिन फैक्ट्री चला कर वहां पर तालाबंदी हो गई।

औद्योगिक नगरी बनेगा मुजफ्फरपुर

इधर के दिनों में उद्योग विभाग के द्वारा मुजफ्फरपुर में उद्योगपतियों को कई प्रकार की सुविधाएं दी जा रही है। जिसे लेकर बेला उद्योगीक क्षेत्र में अब इतनी फैक्ट्रियां हो चुकी हैं जिसमें मुर्गी दाना बनाने की फैक्ट्री, parle-g, नूडल्स फैक्ट्री के साथ ही कई और फैक्ट्रियां खुली। स्थिति यह हो गई फैक्ट्री खोलने के लिए बियाडा क्षेत्र में जमीन ही नहीं बची। बगैर नक्शे के बनाए और बसाए गए बियाडा क्षेत्र में जलजमाव के कारण फैक्ट्री मालिकों को काफी नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है। मोतीपुर चीनी मिल की जमीन में यह सब परेशानी नहीं होने के कारण अब उद्योगपति मोतीपुर की ओर कूच कर रहे हैं। उद्योग विभाग भी उद्योगपतियों को पूरी मदद कर रहा है। पूंजीपति उद्योग में निवेश के लिए आगे बढ़ रहे हैं। यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि बिहार बदल रहा है और वह दिन दूर नहीं जब इसे औद्योगिक नगरी के रूप में भी पहचान मिलेगी।