बंजर पड़ी जमीन में धान की यह किस्म देगी जबरदस्त उत्पादन, जानिए इस नए बीज की खासियत

Paddy farming : धान की खेती करने वाले किसानों के लिए हर दिन कोई ना कोई अच्छी किस्म का विकास करने में वैज्ञानिक लगे हुए हैं. जिससे किसानों को अच्छी पैदावार मिल सके और बढ़िया मुनाफा हो. कई जगह ट्यूबवेल के पानी के कारण जमीन खराब हो रही है बंजर हो रही है. उन जमीनों के लिए कुछ धान की खास किस्म त्यार की है जो उन जमीनों के लिए फायदेमंद रहेगी. उन जमीनों में धान की है किम अच्छी पैदावार देगी पढ़िए खबर में विस्तार से
 

The Chopal, Paddy farming : धान की खेती करने वाले किसानों के लिए हर दिन कोई ना कोई अच्छी किस्म का विकास करने में वैज्ञानिक लगे हुए हैं. जिससे किसानों को अच्छी पैदावार मिल सके और बढ़िया मुनाफा हो. कई जगह ट्यूबवेल के पानी के कारण जमीन खराब हो रही है बंजर हो रही है. उन जमीनों के लिए कुछ धान की खास किस्म त्यार की है जो उन जमीनों के लिए फायदेमंद रहेगी. उन जमीनों में धान की है किम अच्छी पैदावार देगी बताया जा रहा है कि यह किस्म दक्षिण भारत के साथ ही उत्तरी भारत में भी आसानी से उगाई जा सकती है। खास बात यह है कि यह किस्म मिट्‌टी की लवणता को सहन करने की क्षमता रखती है। इसे किसी भी प्रकार की मिट्‌टी में उगाया जा सकता है। इसकी पैदावार अच्छी बताई जा रही है।

कौनसी है धान की यह किस्म 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुडुचेरी के कराईकल के एक कृषि संस्थान ने धान (चावल) की एक नई किस्म विकसित की है। इस किस्म का नाम केकेएल (आर) 3 है। इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे सामान्य व बंजर दोनों तरह की भूमि में उगाया जा सकता है। इस नई किस्म को पंडित जवाहरलाल नेहरू कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं की टीम ने विकसित किया है।

दक्षिण भारत के राज्यों के लिए वरदान साबित होगी यह किस्म 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शोध में पाया गया है कि धान की केकेएल (आर) 3 किस्म सामान्य मिट्‌टी के अलावा लवणीय यानी खारी मिट्‌टी में भी खेती के लिए उपयुक्त पाई गई है। बताया जा रहा है कि यह धान की किस्म बंजर और सामान्य भूमि में तेजी से विकास करती है। दोनों तरह की मिट्‌टी इस किस्म का शानदार प्रदर्शन देखने को मिला है। ऐसे में कहा जा रहा है कि धान की यह किस्त दक्षिण भारत के राज्यों के लिए वरदान से कम नहीं है। इसकी खेती से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।

उत्तर भारत की जलवायु के लिए भी उपयुक्त है यह किस्म

धान की केकेएल (आर) 3 किस्म पर शोध करने वाले कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किस्म उत्तर भारत की जलवायु के लिए भी उपयुक्त पाई गई है। इस तरह दक्षिण भारत के साथ ही उत्तर भारत के किसान भी अपनी बंजर जमीन पर धान की इस किस्म की खेती करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इस तरह यह किस्म एक ओर किसान की खाली पड़ी बंजर जमीन का उपयोग बढ़ाएगी, वहीं दूसरी ओर देश में चावल का उत्पादन बढ़ाने में भी सहायता करेगी।

देश के किन राज्यों में होती है धान की खेती 

खरीफ की फसल में धान का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे देश के कई राज्यों में धान की खेती प्रमुखता से की जा सकती है, इनमें पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब शामिल है। इसमें पश्चिम बंगाल चावल उत्पादन में सबसे आगे है। पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक चावल का उत्पादन होता है जिसका कुल योगदान 13.62 प्रतिशत है। दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है जहां चावल का 12.81 प्रतिशत उत्पादन होता है। तीसरा नंबर आता है पंजाब का जो कुल 9.96 फीसदी चावल का उत्पादन करता है। इस तरह भारत के चावल उत्पादन में इन तीनों राज्यों का कुल 36 प्रतिशत योगदान हैं। इसके अलावा बिहार, तमिलनाडु, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर में भी धान की खेती की जाती है।

किस राज्य में कितनी है बंजर भूमि

देश में कुल 16,996,000 हेक्टेयर जमीन बंजर हो चुकी है जिस पर खेती करना संभव नहीं है। जुलाई 2019 को लोकसभा में पेश दस्तावेजों के मुताबिक सबसे अधिक बंजर भूमि वाले चार राज्य है जिसमें गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश शामिल हैं। गुजरात में 25.52 लाख हेक्टेयर भूमि खेती योग्य नहीं है। राजस्थान में 24.03 लाख हेक्टेयर भूमि बंजर हो चुकी है। महाराष्ट्र में 17.27 लाख हेक्टेयर भूमि बंजर है और मध्यप्रदेश में 13.57 लाख हेक्टेयर भूमि खेती योग्य नहीं है। इसके अलावा अन्य राज्यों में भी भूमि बंजर होती जा रही है। ऐसे में धान की यह किस्म बंजर खेतों के लिए वरदान साबित होने के साथ किसानों की आय में भी बढ़ोतरी कर सकती है।

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