Toll Plaza : जिनकी आएगी हाईवे में जमीन, वो होगा टोल टैक्स में साझेदार

केंद्र सरकार (Central government) ने किसानों के लिए पहल की है। अब सड़कों के लिए जमीन देने वालों को भी टोल टैक्स (toll tax) में साझेदारी मिलेगी। इसके लिए पीडब्ल्यूडी स्टेट हाईवे (PWD State Highway) चिह्नित करेगी। पहले चरण में 20 हजार से ज्यादा पीसीयू वाले राज्य राजमार्गों को शामिल किया जाएगा। व्यावसायिक और आवासीय क्षेत्र विकसित करके भी किसानों को इनका एक हिस्सा दिया जाएगा।
 

Highway : राज्य राजमार्गों (स्टेट हाईवे) को चौड़ा करने के लिए अभिनव प्रयोग होने जा रहा है। इसमें राजमार्गों के लिए जमीन देने वाले किसानों की टोल टैक्स (toll tax) में भी साझेदारी होगी। इनके किनारे किसानों की जमीन पर जो भी व्यावसायिक व आवासीय क्षेत्र विकसित किए जाएंगे, उनका भी एक हिस्सा पुनर्वास के रूप में उन्हें लौटाया जाएगा। 

केंद्र की विशेष योजना के तहत ये काम कराने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Union Ministry of Road Transport and Highways) और पीडब्ल्यूडी के बीच सहमति बन चुकी है। यह प्रयोग आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती के निर्माण के दौरान किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश में पहले चरण में उन स्टेट हाईवे को शामिल किया जाएगा, जिनका पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) 20 हजार प्रतिदिन से अधिक है। 

इस लिहाज यहां के करीब 21 स्टेट हाईवे के चयन की संभावना है। इन हाईवे के चौड़ीकरण व विकास के लिए कुल 60 मीटर चौड़ाई में जमीन ली जाएगी। अभी यहां 30-45 मीटर चौड़ाई में ही जमीन उपलब्ध है। केंद्र सरकार से इनके चयन को मंजूरी मिलने के बाद इन्हें सुपर स्टेट हाईवे का दर्जा दिया जाएगा। पीडब्ल्यूडी ने इन हाईवे को चिह्नित करने के लिए काम शुरू कर दिया है। 

न्यूनतम 20 साल तक साझेदारी

अभी तक लागू व्यवस्था में हाईवे के चौड़ीकरण के लिए किसानों से जो जमीन ली जाती है, उसके मुआवजे के रूप में राज्य सरकार को अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ती है। यह परियोजना लागत की 60 प्रतिशत तक होती है।

वहीं, किसानों को जमीन के एवज में जो राशि मिलती है, उसके खर्च होने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है। टोल टैक्स (toll tax) और व्यावसायिक व आवासीय क्षेत्रों में उनकी भागीदारी से यह समस्या हल हो जाएगी। न्यूनतम 20 साल तक टोल टैक्स में उनकी साझेदारी बनी रहेगी।

परियोजना में अब तीन भागीदार

ऐसे निकाला जाएगा लागत का बड़ा हिस्सा हाईवे के निर्माण करने वाले कांट्रैक्टर की लागत का एक बड़ा हिस्सा भी उस जमीन में व्यावसायिक व आवासीय कॉम्प्लेक्स बनाकर निकाला जाएगा। इस तरह से इन परियोजनाओं में तीन भागीदार होंगे-सरकार, किसान और विकासकर्ता। टेंडर से लेकर सभी नियम-शर्तें व अनुबंध केंद्रीय मंत्रालय की देखरेख में होंगे। 

आईआईएम से ली जा रही मदद

संदीप कुमार पीपीपी मोड में हाईवे के विकास के बाद आने वाले रेवेन्यु (टोल टैक्स आदि) को सभी पक्षों में किस तरह से शेयर किया जाए, इसके लिए आईआईएम लखनऊ की मदद ली जा रही है। पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष संदीप कुमार ने बताया कि जल्द ही इस संबंध में पूरी कार्ययोजना हमारे सामने होगी, जिसका प्रस्तुतिकरण उच्चस्तर पर दिया जाएगा। 

बड़े शहरों में रिंग रोड में भी होगा ये प्रयोग 

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Union Ministry of Road Transport and Highways) ने बड़े शहरों में रिंग रोड का निर्माण भी सहभागिता के आधार पर कराए जाने के लिए सहमति दे दी है। इसमें भी भू-स्वामी और मार्ग विकासकर्ता की भागीदारी भी रहेगी। यानी, जमीन देने वाले किसान की जमीन का एक निश्चित हिस्सा उसे विकसित करके लौटा दिया जाएगा। जो उस जमीन का भू-उपयोग होगा, उसी के आधार पर यह विकास कार्य होगा। साथ ही एक हिस्से में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए निर्माण करवाकर सड़क निर्माण की लागत निकाली जाएगी।

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