Toll Tax : अब एक्सप्रेसवे पर जितनी चलेगी गाड़ी उतना देना होगा टोल टैक्स, वाहन चालकों के लिए नई टेंशन
 

Toll Tax : वाहन चालकों के लिए महत्वपूर्ण सूचना आपको हाल ही में एक अपडेट से अवगत कराया गया है कि सरकार अब GPS-based टोल सिस्टम को लागू करने पर विचार कर रही है। साथ ही कहा गया है कि हम छह महीने में नई तकनीक लाएंगे..
 

Digital Desk - देश भर में कोई टोल प्लाजा नहीं होगा। सब जा रहे हैं। इससे लोगों को सड़क जाम से छुटकारा मिलेगा। सरकार अब GPS-based टोल सिस्टम को लागू करने पर विचार कर रही है। हम छह महीने में नई तकनीक लाएंगे।हाल ही में, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ऐसा कहा।वैसे फास्टैग (Fastag) के स्थान पर जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम (GPS based Toll System) लाने की बात काफी समय से कही जा रही है। यह सिस्टम कब आएगा और हाईवेज से टोल प्लाजा कब हटेंगे, यह तो पता नहीं। लेकिन जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम को लेकर चिंताएं जरूर उठनी शुरू हो गई है।

ये पढ़ें - दिल्ली-NCR वालों को एक और नई रेल लाइन की मिली सौगात, 62 KM का होगा रूट

उठ रहीं प्राइवेसी से जुड़ी चिंताएं-

सरकार स्मूद पेमेंट्स और नेशनल हाईवेज पर जाम खत्म करने के उद्देश्य से जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम लाना चाहती है। इस सिस्टम पर अब प्राइवेसी को लेकर चिंताएं उठ रही हैं। इससे इस सिस्टम की लॉन्चिंग में देरी हो रही है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रातलय (MoRTH) के अधिकारी प्रपोज्ड टोल सिस्टम से जुड़ी प्राइवेसी संबंधी चिताओं से निपटने के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं। वे इस जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम को लागू करने के लिए मोटर वाहन अधिनियम सहित मौजूदा कानूनों में संभावित संशोधनों पर कानूनी सलाह भी ले रहे हैं। मामले से जुड़े दो लोगों ने यह जानकारी दी।

कैसे काम करेगा यह सिस्टम?

जीपीएस-बेस्ड टोल सिस्टम फास्टैग की जगह लेगा। इससे हाईवेज पर टोल प्लाजा की भूमिका समाप्त हो जाएगी। क्योंकि यह जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम गाड़ी की लोकेशन के हिसाब से टैक्स वसूल लेगा। इस नए सिस्टम को लागू करने के लिए हाईवेज की जियो-फेंसिंग करने की जरूरत होगी। इसके बाद ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) या रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) का यूज किया जा सकेगा। जीपीएस या आरएफआईडी एक वर्चुअल जियोग्राफिक बाउंड्री बनाएंगे। जब भी कोई मोबाइल डिवाइस इस एरिया में आएगा या वापस जाएगा तो सॉफ्टवेयर में पता चल जाएगा।
 
व्हीकल्स में पड़ेगी ट्रैकिंग डिवाइस की जरूरत-

इस जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम को लागू करने के लिए वाहनों में एक ट्रैकिंग डिवाइस की जरूरत होगी, जिससे वाहन के मूवमेंट को मॉनीटर किया जा सके। हाईवे से बाहर निकलने पर आपके द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर टोल वसूला जाएगा। इससे वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी। ट्रैकिंग सिस्टम से टोल की कैलकुलेशन हो जाएगी। इस सिस्टम के तहत लोगों को खुद को और अपने वाहनों को रजिस्टर करना होगा। साथ ही बैंक अकाउंट को सिस्टम से लिंक करना होगा।

ये पढ़ें - Roti: एक दिन में कितनी रोटियां खानी चाहिए, जान ले दिन की सही लिमिट

मोटर व्हीकल एक्ट में करना पड़ सकता है संशोधन-

एक रिपोर्ट के अनुसार मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया, 'सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने नेशन हाईवे फीस (रेट्स का निर्धारण और कलेक्शन) रूल्स 2008 में संशोधन किया है। इससे नेशनल हाईवेज पर व्हीकल द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर टोल वसूलने की अनुमति मिलती है। इससे जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम शुरू किया जा सकेगा। लेकिन इस सिस्टम को लाने से पहले टेक्निकल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ रोड्स को अपग्रेड करने के लिए काफी काम करना होगा। इसके अलावा मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन की जरूरत पड़ सकती है। साथ ही प्राइवेसी से जुड़े मुद्दे को भी दूर किया जाना है। इसलिए देश के हाईवेज से टोल प्लाजा को खत्म करने वाले इस सिस्टम को आने में अभी वक्त लग सकता है।'

किस तरह तय होगा टोल?

टोलिंग का मौजूदा सिस्टम रोड़ पर तय की गई फिक्स्ड दूरी पर बेस्ड है। नया सिस्टम हाईवे पर आपकी वास्तविक दूरी और समय को कवर करेगा। जीपीएस बेस्ड सिस्टम में व्हीकल के वास्तविक आकार और वजन के हिसाब से टोल तय किया जाएगा। आईडिया यह है कि एक व्हीकल हाईवे पर कितनी जगह लेता है और सड़क पर कितना वजन डालता है, उसके आधार पर टोल लिया जाए।A