UP के इस जिले में एक्सप्रेसवे के लिए 13 गावों से जमीन खरीद करेगी सरकार

UP News : यूपी में निर्माण किए जाने वाले चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे की कार्य प्रणाली में तेजी के साथ काम किया जा रहा है। इसके निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया तेज कर दी गई है। प्रदेश का यह एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को नेशनल हाईवे 135 के साथ लिंक करेगा। इस परियोजना के अंतर्गत बुंदेलखंड के 13 गावों के किसानों की लॉटरी लगने वाली है।

 

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार प्रदेश की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए एक्सप्रेसवे के नेटवर्क पर तेजी से कार्य कर रही है। प्रदेश में प्रस्तावित चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे इन परियोजनाओं का अहम हिस्सा है। यह एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को नेशनल हाईवे 135 के साथ जोड़ेगा। नेशनल हाईवे अथॉरिटी द्वारा इस परियोजना के लिए 68% जमीन पहले से ही खरीदी जा चुकी है। अब अथॉरिटी द्वारा बुंदेलखंड के 13 गावों की जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इस एक्सप्रेसवे का निर्माण हो जाने के बाद शहर में प्रॉपर्टी में अच्छा बूम आने की आशंका जताई जा रही है।

एक्सप्रेसवे के लिए जमीन होगी अधिग्रहित

उत्तर प्रदेश में चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार 13 गांवों की 166।55 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण कर रही है। अब तक 69% भूमि का अधिग्रहण पूरा हो चुका है। हाल ही में इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए 120 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। इस परियोजना की कुल स्वीकृत लागत 228 करोड़ रुपये है, जिसमें से 100 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं।

यह परियोजना बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को एनएच 135 से जोड़ेगी और 15।20 किलोमीटर लंबी फोर लेन ग्रीन फील्ड परियोजना है। भूमि अधिग्रहण के बाद एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। सरकार ने इसे 1।5 से 2 वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। 

अधिग्रहण के लिए चयनित गांव

रानीपुर भट्ट, चकला राजरानी, रामपुर माफी, गोंडा, भारतपुर भैंसौंधा, भारतपुर तरांव,अहमदगंज।  भरथौल, मछरिहा, रानीपुर खाकी, शिवरामपुर, सीतापुर माफी और खुटहा

लोक निर्माण विभाग की कार्य योजना फिर हुई वापस

उत्तर प्रदेश सरकार ने PWD की 2023-24 कार्ययोजना को एक बार फिर संशोधित प्रारूप में भेजने का निर्देश दिया है। पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सुझावों के आधार पर कार्ययोजना तैयार करने को कहा था। हालांकि, हाल ही में भेजी गई संशोधित योजना भी शासन ने वापस कर दी है।

इस कार्ययोजना में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से राज्य मार्गों का चौड़ीकरण और 700 से अधिक लघु पुलों का निर्माण शामिल था। लेकिन कार्ययोजना में मानकों की कमी और निर्धारित प्रारूप न होने के कारण इसे फिर से सुधारने के निर्देश दिए गए हैं।

गुणवत्ता को लेकर सवाल 

सूत्रों के अनुसार, 10 जिलों की 46 सड़कों से लिए गए नमूनों में से अधिकांश फेल हो चुके हैं। इससे सड़कों की गुणवत्ता और अभियंताओं के काम पर सवाल उठ रहे हैं। ठंड के मौसम में निर्माण प्रभावित होने के कारण तेज गति से काम करने का दबाव बनाया जाएगा, जिससे गुणवत्ता पर और असर पड़ सकता है। डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के अध्यक्ष एनडी द्विवेदी ने सुझाव दिया है कि बार-बार कार्ययोजना वापस करने की बजाय अधिकारियों के साथ मिलकर कमियों को तुरंत दूर किया जाए, ताकि निर्माण कार्यों में और देरी न हो।