UP News : राजस्थान से प्राण प्रतिष्ठा से पहले हजारों की संख्या पहुंचे गरुड़ व जटायु
 

Ram Mandir : रामायण में जटायु पक्षी ने गरुड़ पक्षी के भगवान राम को नागपाश से बचाया और अपनी जान देकर श्रीराम की मदद की। इन दिनों, इन दोनों पक्षियों की प्रजातियों के दस हजार से अधिक पक्षी जोड़बीड़ में रह रहे हैं।

 

UP News : रामायण में जटायु पक्षी ने गरुड़ पक्षी के भगवान राम को नागपाश से बचाया और अपनी जान देकर श्रीराम की मदद की। इन दिनों, इन दोनों पक्षियों की प्रजातियों के दस हजार से अधिक पक्षी जोड़बीड़ में रह रहे हैं। पक्षी प्रेमी भी पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में जटायु मिलने से हैरान हैं। मृत पशुओं को डालने वाली एशिया की सबसे बड़ी जगह जोड़ बीड़ रिजर्व कंजर्वेटिव क्षेत्र है। शिकारी पक्षी, जैसे बाज, चील और पक्षी, इसके जंगलों में बहुत सारे जहरीले सांप और चूहे पाते हैं।

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तीन हजार किमी का सफर तय कर आते हैं

तीन हजार किलोमीटर की दूरी पर कजाकिस्तान, मंगोलिया और रूस से आने वाले गिद्धों की संख्या सबसे अधिक है। गिद्ध शिकार कभी नहीं करता। यह मर चुके पशुओं का मांस खाता है। करीब सौ सिनेरियस वल्चर भी जटायु प्रजाति का सबसे बड़ा और भारी पक्षी हैं। पहली बार इनकी इतनी बड़ी संख्या देखने को मिली है। इसके साथ, करीब 80 प्रतिशत ईस्टर्न इम्पीरियल ईगल गरुड़ हैं। यह एक बहुत सुंदर चील है।

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राकेश शर्मा, एक खुले वातावरण फोटोग्राफर, पिछले कई वर्षों से पक्षियों की निगरानी कर रहे हैं। इस बार उन्होंने दस से अधिक प्रजातियों के गिद्ध, बाज और चील को देखा है। शर्मा ने कहा कि गिद्ध भारतीय संस्कृति, रेड हेड संस्कृति, व्हाइट हम्ड संस्कृति और लॉन्ग बिलेड संस्कृति जोड़बीड़ में दिखाई देती थीं। इंजेप्शियन वल्चर (सफेद गिद्ध) जैसे विदेशी गिद्धों ने गिद्धों के लुप्त होने के बाद यहां की मौजूदगी में अपने आप को ढालना शुरू कर दिया है। अब यह निरंतर रहने लगे हैं।