उत्तर प्रदेश में डॉक्टर दे रहे हैं धड़ाधड़ इस्तीफा, सरकारी अस्पताल में सातों ने छोड़ी नौकरी, चार का नोटिस 

यूपी के मुरादाबाद जिले के सरकारी अस्पतालों को पहले से ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे सात डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। डॉक्टरों में से छह एमबीबीएस हैं और एक स्पेशलिस्ट है। इसके अलावा, चार डॉक्टरों ने विभाग को नौकरी छोड़ने का नोटिस दिया।
 

Doctors Resignation: यूपी के मुरादाबाद जिले के सरकारी अस्पतालों को पहले से ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे सात डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। डॉक्टरों में से छह एमबीबीएस हैं और एक स्पेशलिस्ट है। इसके अलावा, चार डॉक्टरों ने विभाग को नौकरी छोड़ने का नोटिस दिया। जो लोगों को परेशान कर रहा है।

ये भी पढ़ें - अक्टूबर के पहले सप्ताह ऐसा रहेगा मौसम का मिजाज, IMD की रिपोर्ट के अनुसार जाने अपने शहर का हाल 

स्वास्थ्य विभाग ने एमबीबीएस डिग्री धारकों को शहरी क्षेत्र के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों का संचालन करने के प्रावधान के मद्देनजर कई बार वॉक इन इंटरव्यू करके 18 एमबीबीएस को जोड़ लिया। स्वास्थ्य विभाग के पास चालीस पदों के बावजूद सिर्फ अठारह डॉक्टर थे। इनमें से छह शामिल भी नहीं हुए। अब छह डॉक्टरों ने अपना पद छोड़ दिया है। इन परिस्थितियों से विचलित विभाग अब भर्ती के लिए 29 सितंबर को एमबीबीएस अभ्यर्थियों के अगले इंटरव्यू की तैयारी कर रहा है।

मुख्यमंत्री ने क्या कहा 

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ.कुलदीप सिंह ने बताया कि एमबीबीएस डिग्री धारक चिकित्सकों को भर्ती होने के एक महीने पहले नोटिस देना होगा। ऐसा न करने पर उसे विभाग से एक महीने का भुगतान करना होगा। 

जिला अस्पताल में विशेषज्ञ ने झटका

मंडल स्तर के जिला अस्पताल में विशेषज्ञ श्रेणी के ऑर्थोपेडिक सर्जन से सीधी भर्ती हुई। यद्यपि अस्पताल प्रबंधन और मरीजों को इससे काफी राहत मिली, इस स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने भी इस्तीफा देकर सरकारी सेवा से किनारा कर लिया। CMASS श्रीमती संगीता गुप्ता ने इसकी पुष्टि की।

ये भी पढ़ें - यूपी में सस्ता हुआ सोना चांदी, जाने क्या रेट मिल रहा है 22 से 24 कैरेट गोल्ड 

CFO छोड़ना महंगा

समुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों, या सीएचओ, को ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हेल्थ वेलनेस सेंटर्स का कार्यभार सौंपा गया है। एमबीबीएस की तरह सीएचओ नौकरी छोड़ना इतना आसान नहीं है। वह तीन साल से पहले नौकरी छोड़ने का वादा करता है। तीन साल से पहले नौकरी छोड़ने पर उन्हें विभाग को 1.80 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।