Wheat: गोदामों में सड़ गया करोड़ों टन गेहूं, अब मिल रहा यह भाव

 

The Chopal - किसानों से जिले के गोदामों में खरीदा गया गेहूं और धान खराब हो गया है। तिलसानी की तरह बरखेड़ा ओपन कैप में सड़ गया गेहूं समर्थन मूल्य पर प्रति क्विंटल 1735 और 1840 रुपए में खरीदा गया था। खराब होने पर ठेका फर्म 11 सौ रुपए प्रति क्विंटल देती है।

सरकारी चपत

इन दो स्थानों पर गेहूं का मूल्य तीन करोड़ चालीस लाख रुपये है। अब उसकी कीमत दो करोड़ दो लाख रुपए है। नीलामी में ठेकेदार ने अलग-अलग स्टेक की पेशकश की थी। उसकी दर न्यूनतम 809 रुपए प्रति क्विंटल है और अधिकतम 1400 रुपए प्रति क्विंटल है। यानी सरकार को तीन सौ से एक हजार रुपए तक का सीधा नुकसान हुआ है। ओपन कैप में अनाज समय पर उठाया जाना चाहिए। लेकिन इसे नहीं देखा जाता। जानवर भी गेहूं और धान नहीं खाते। 500 मीट्रिक टन गेहूं बरेला और बरखेड़ा ओपन कैप में भंडारण किया गया है। उसकी भी जल्दी नीलामी होगी। वह भी खाने योग्य नहीं है। 2019–20 में गेहूं खरीद लिया गया था।

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दवा नहीं

गेहूं को मध्यप्रदेश राज्य सिविल सप्लाई कारपोरेशन ने जिले के गोदामों में रखा था। 2018–2019 में 13 हजार 950 मीट्रिक टन गेहूं और 2019-20 में 5 हजार मीट्रिक टन गेहूं शामिल था। अब यह गेहूं खराब हो गया है। इसका मूल्य ३३ करोड़ रुपये है। 2018-19 में 1735 रुपये प्रति क्विंटल कीमत थी, लेकिन 2019-20 में सरकार ने किसानों को 1840 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य दिया। अब स्थिति खराब है। नीलामी में सबसे अधिक बोली लगाने वाली फर्म अब इसे कितनी कीमत में खरीदेगी, यह समय बताएगा।

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Dillip Kirar, जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम, ने कहा कि ओपन कैप में खराब गेहूं बेच दिया गया है। उसका मूल्य उचित है। मुख्यालय को वेयर हाउस में खराब गेहूं की रिपोर्ट भेजी गई है। परीक्षण दल इसकी जांच करेगा। जो हिस्सा कमजोर है, उसी हिस्से की नीलामी होगी।

दल जांच करेगा

अनाज भी वेयरहाउस में सुरक्षित नहीं है। वेयरहाउस संचालकों के अलावा मप्र वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कारपोरेशन और मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कारपोरेशन ने 33 करोड़ रुपये का गेहूं बर्बाद कर दिया है। यह रिपोर्ट सिविल सप्लाई कारपोरेशन ने मुख्यालय को भेजी है। अब इसकी जांच एफसीआइ और अन्य विभागों की टीम करेगी। खराब गेहूं की नीलामी तब शुरू होगी।