देश में क्यों ज्यादा बनाए जाते हैं एक्सेस-कंट्रोल हाईवे, एक्सप्रेसवे की मात्र 25 प्रतिशत हिस्सेदारी, क्या हैं दोनों में अंतर
 

Highways in india: देशभर में तेजी से बन रहे एक्सप्रेसवे और एक्सेस-कंट्रोल हाईवे ने सफर को आसान बना दिया है। इनसे समय और पैसे दोनों की बचत होती है। लेकिन अगर निर्माण गति की बात करें, तो एक्सेस-कंट्रोल हाईवे ज्यादा तेजी से बन रहे हैं। आइए, जानते हैं इसके पीछे की वजह—

 
देश में क्यों ज्यादा बनाए जाते हैं एक्सेस-कंट्रोल हाईवे, एक्सप्रेसवे की मात्र 25 प्रतिशत हिस्सेदारी, क्या हैं दोनों में अंतर

Access Controlled Highways: देश भर में बनने वाले राजमार्गों ने समय और पैसा बचाया है। इसके अलावा, कई स्थानों पर एक्सेस नियंत्रण हाईवे भी बनाए जा रहे हैं।  एक्सेस-कंट्रोल हाईवे का निर्माण एक्सप्रेसवे से कहीं ज्यादा तेज है। आप इसकी वजह जानेंगे।

देश में अभी पांच एक्सप्रेसवे और 22 एक्सेस कंट्रोल हाईवे बन रहे हैं। इसका अर्थ है कि इस समय बन रहे कुल हाईवे में एक्सप्रेसवे का सिर्फ 25 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि बाकी हाईवे हैं जो एक्सेस-कंट्रोल हाईवे हैं। सरकार ने 2025 से 26 तक सभी राजमार्गों को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। जबकि 2026-27 तक एक्सेस कंट्रोल हाईवे बनकर तैयार हो जाएगा।

कम राजमार्ग क्यों बनाए जा रहे हैं?

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) का कहना है कि एक्सप्रेसवे बनाना एक कठिन प्रक्रिया है और भूमि अधिग्रहण (लैंड एक्विजिशन) सबसे बड़ी चुनौती है। ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स आमतौर पर शहरी क्षेत्रों से दूर बनाए जाते हैं। विपरीत, किसी भी वर्तमान राजमार्ग को विकसित करके उसे एक्सेस-कंट्रोल राजमार्ग में बदल सकता है। जबकि शुरू से ही राजमार्ग इस मानक पर बनाए जाते हैं।

एक्सप्रेसवे बनाना भी बहुत महंगा है। नए एक्सप्रेसवे बनाना किसी मौजूदा हाईवे को अपग्रेड करने की तुलना में अधिक खर्चीला और मुश्किल है। इसलिए सरकार पूरी तरह से नए राजमार्ग बनाने के बजाय एक्सेस कंट्रोल हाईवे बनाने पर अधिक ध्यान दे रही है। लेकिन दोनों में कुछ समानताएं हैं, हालांकि उनके निर्माण मानक अलग हैं।

एक्सप्रेसवे और एक्सेस कंट्रोल हाईवे क्या हैं?

एक्सेस-कंट्रोल हाईवे में एंट्री प्वाइंट सीमित होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे एक्सप्रेसवे में होते हैं। लेकिन दोनों के बीच कुछ मुख्य अंतर हैं। उदाहरण के लिए, किसी सामान्य हाईवे की लेन की चौड़ाई 3.5 मीटर होती है, जबकि एक्सप्रेसवे की लेन थोड़ी चौड़ी यानी 3.75 मीटर होती है। इसी तरह, हाईवे के साइड शोल्डर (सड़क के किनारे मिट्टी से ढकी हुई जगह) की चौड़ाई 1.5 मीटर होती है, जबकि एक्सप्रेसवे में यह चौड़ाई 3 मीटर तक होती है।

अधिकतर हाईवे चार लेन के होते हैं और ये बड़े शहरों को जोड़ने के लिए बनाए जाते हैं। एक्सप्रेसवे का मकसद भी यही होता है, लेकिन आमतौर पर इनकी लंबाई ज्यादा होती है और ये ज्यादा रफ्तार के लिए डिजाइन किए जाते हैं।