Delhi Metro की नई लाइन पर काम हुआ शुरू, बनेगी 1.4 किलोमीटर की टनल

Delhi Metro : यह नई लाइन (new metro line)की योजना शहर की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है ताकि यातायात के क्षेत्र में और भी सुधार किया जा सके। इस 1.4 किलोमीटर के टनल के माध्यम से यात्रियों को तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने की सुविधा मिलेगी जिससे यात्रा का समय कम होगा और साथ ही परिवहन सिस्टम की भी मजबूती बढ़ेगी।
 

Delhi Metro : दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) ने शुक्रवार को जनकपुरी पश्चिम से आरके आश्रम मार्ग कॉरीडोर पर फेज-4 के भूमिगत खंड का निर्माण कार्य शुरू कर दिया। जो काम शुरू किया गया है, उसमें डी-वॉल का निर्माण और 28.92 किलोमीटर लंबे कॉरीडोर की टनल की कास्टिंग का कार्य किया जाएगा।

निर्माण कार्य की शुरुआत डीएमआरसी (DMRC)के प्रबंध निदेशक डॉ मंगू सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों(senior officers) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराई। शुक्रवार को कृष्णा पार्क एक्सटेंशन मेट्रो स्टेशन(metro station) पर डी-वॉल का निर्माण कार्य शुरू करने के साथ टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के जरिये जनकपुरी वेस्ट और केशोपुर के बीच 1.4 किलोमीटर की लंबाई की टनल बनाने का कार्य भी किया जाएगा।

इसके अलावा लगभग दो किलोमीटर लंबे इस हिस्से में कृष्णा पार्क एक्सटेंशन स्टेशन (Krishna Park Extension Station)भी होगा और 365 मीटर लंबा कट और कवर ओपन रैंप केशोपुर के पास एलिवेटेड सेक्शन पर बनाया जाएगा। जनकपुरी वेस्ट से आरके आश्रम मार्ग मेट्रो कॉरिडोर(metro corridor) में 7.74 किलोमीटर की भूमिगत लाइनें हैं। टनल बनाने के लिए मुंडका स्थित कास्टिंग यार्ड 2100 रिंग बनाए जाएंगे।

यह कार्य पिछले वर्ष दिसंबर में इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) आधार पर प्रदान किया गया था। लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों और सामग्री की कमी जैसी समस्याओं के बावजूद समय पर काम पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। 24 जून से इस कॉरिडोर के लिए यू-गार्डर की कास्टिंग का कार्य शुरू किया जा चुका है।

क्या है डी-वॉल डी वाल या डायाफ्राम

वॉल कंक्रीट की दीवारें हैं, जो गहरी खुदाई वाली परियोजनाओं में बनाई जाती हैं। डायफ्रैम्स दीवारों का उपयोग अक्सर भीड़भाड़ वाली जगहों पर किया जाता है। जहां पहले से कोई ढांचा मौजूद होने और जहां हेडरूम प्रतिबंधित हो, या फिर गहरी खोदाई करने के दौरान बहुत अधिक मात्रा में मिट्टी को निकालने की जरूरत पड़ती है। इन दीवारों से खोदाई का क्षेत्र सुरक्षित हो जाता है और फिर भूमिगत स्टेशन का निर्माण कार्य शुरू हो जाता है। इस तकनीक का उपयोग दिल्ली मेट्रो के भूमिगत स्टेशनों के लिए पहले फेज के बाद से किया गया है।

Also Read: Cheapest Dry Fruits : भारत के इस गांव में 25 से 30 रुपये किलो मिल जायेंगे काजू बादाम