योगी सरकार का बड़ा फैसला, अक्टूबर से नहीं चलेगें UP में डीजल वाले उपकरण 

प्रदूषण को कम करने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। 1 अक्टूबर से शहर में डीजी (डीजल जनरेटर) सेटों का संचालन पूरी तरह से बंद हो जाएगा, कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CQM) के आदेश पर।
 

नोएडाः प्रदूषण को कम करने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। 1 अक्टूबर से शहर में डीजी (डीजल जनरेटर) सेटों का संचालन पूरी तरह से बंद हो जाएगा, कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CQM) के आदेश पर। बायो या पीएनजी फ्यूल वाले जनरेटर ही काम कर सकेंगे। शहर में लगभग 40 हजार डीजी सेट हैं, एक अनुमान है। अब तक, हर साल चार से पांच हजार जनरेटर सेट बायो या पीएनजी फ्यूल में बदले गए हैं। इससे अक्टूबर से लगभग 35 हजार डीजी सेट नहीं चल सकेंगे। इनका आयोजन अस्पतालों, मॉलों, उद्योगों और हाईराइज सोसायटियों में किया जाता है। आंकड़े बताते हैं कि लगभग 15 से 20 हजार डीजी सेट को बदलने के आवेदन लंबित हैं। इसे बदलने के लिए कुछ एजेंसियां देरी कर रही हैं। CQM से सर्टिफाइड ये एजेंसियां हैं।

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16 अगस्त को CQM ने दादरी स्थित एनटीपीसी पर शहर के उद्यमियों, आरडब्ल्यूए और एओए के साथ एक बैठक की। शहर में पलूशन को कम करने के लिए लोगों ने सुझाव दिए। CQM अधिकारियों को पता चला कि डीजी सेट बैन पलूशन कम करने का उपाय नहीं है। डीजी सेट बंद होने से घरों और कंपनियों में भी समस्याएं पैदा होती हैं।  डीजी सेट बंद कराने के लिए 24 घंटे निर्बाध बिजली देने का आदेश जारी सबसे पहले किया जाए।

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2500 ही हाईब्रिड मोड पर कन्वर्ट कर सकते हैं

शहर में 20 हजार से अधिक व्यवसाय हैं। इनमें से केवल 2500 ने हाईब्रिड मोड में जनरेटर सेट को बदल दिया है। अक्टूबर से डीजी सेट के संचालन पर लगने वाली पाबंदियों से उद्योगों का सबसे बड़ा नुकसान होगा। साथ ही, शहर में अघोषित बिजली कटौती को देखते हुए डीजी सेट पर पाबंदियों से हाईराइज सोसाइटियों में लोगों की समस्याएं बढ़ने वाली हैं। ग्रुप घरों में डीजी सेट पावर बैकअप के लिए उपयोग किए जाते हैं। करीब 90% हाईराइज सोसाइटियों में डीजी सेट नहीं बदला गया है।

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ग्रैप नियमों से यह डीजी सेट पर रोक लगाना काफी कठिन हो सकता है। लोगों का कहना है कि डीजी सेट को कन्वर्ट करने के लिए आवेदन किए जा रहे हैं, लेकिन छह महीने के लंबे इंतजार के बाद भी सीएक्यूएम की सर्टिफाइड एजेंसियों से सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहे हैं। हाल ही में डीजी बनाने वाले लोगों को कंपनियों से गारंटी मिली है। फ्यूल को रेट्रोफिटेड कराने पर कम्पनी अपनी प्रतिज्ञा समाप्त कर देती है। रेट्रोफिटेड होने के बाद जनरेटर को कोई समस्या होने पर मालिक को अपने खर्च पर मरम्मत करनी होगी।

कमीशन के अनुरूप होगा

1 अक्टूबर से टीमें शहर भर में निरीक्षण करेंगी, यूपीपीसीबी नोएडा के असिस्टेंट इंजीनियर सत्य विजय वर्मा ने बताया। डीजी सेट को संचालित पाए जाने पर उसे सील कर कार्रवाई की रिपोर्ट कमीशन को भेजी जाएगी। कमीशन के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

उद्यमी की प्रतिक्रिया

नोफा अध्यक्ष राजीवा सिंह ने कहा कि 70 से अधिक संस्थाएं जुड़ी हैं। 60 सोसाइटी डीजी सेट हैं। AAO को इनको रेट्रोफिट करने के लिए पैसा नहीं है। जनरेटरों को कंपनी से गारंटी देने पर उनकी गारंटी खत्म हो जाती है। 20 हजार एमएसएमई उद्योगों में से 15 हजार में जनरेटर सेट का उपयोग होता है, एमएसएमई जिलाध्यक्ष सुरेंद्र नहाटा ने बताया। 1500 में डीजी सेट बदल गया है। आवेदन पर उद्यमियों के पास धन की कमी है और गैस कंपनी समय पर कनेक्शन नहीं दे पा रही है। एनईए अध्यक्ष विपिन मल्हन ने बताया कि दस हजार उद्योगों में से पांच हजार ने रेट्रोफिटिंग या डीजी को बायो या पीएनजी ऊर्जा में बदलने का अनुरोध किया है। इसमें तीन महीने लगेंगे। 1000 से अधिक उद्योग मालिकों ने जनरेटर की आवश्यकता नहीं होने या धन की कमी होने पर आवेदन नहीं किया है।