Wheat Stock: देश में इस कारोबार से गेहूँ में आया उछाल, जमाखोरी पर कड़े कदम

 

The Chopal, New Dehli: देश में गेहूं के भावों के जारी उछाल पर काबू पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सोमवार को एक बैठक के बाद बातचीत में बताया कि देश में गेहूं का पूरा स्टॉक है। और अगर सरकार को जरूरत पड़ती है। तो जमाखरों के खिलाफ कारवाई भी की जाएगी। ताकि घरेलू जरूरत को पूरा किया जा सके। केंद्र व्यापारियों द्वारा गेहूं के स्टॉक का खुलासा करने और घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए स्टॉक सीमा लगाने जैसे कदमों पर भी विचार कर सकता है.  देश के रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की 82वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) को संबोधित करते हुए खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया कि देश में गेहूं की कोई समस्या भी नहीं है और केंद्र के पास सरकारी स्वामित्व वाले भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में 2.4 करोड़ टन तक गेहूं उपलब्ध भी है.

इन दिनों बाजार में धीरे-धीरे आ रहा गेहूं

पांडेय का कहना है कि देश में गेहूं की उपलब्धता की कोई समस्या नजर नहीं आ रही है. भारत की घरेलू आवश्यकता के लिए हमें जितनी मात्रा की जरूरत है, वह देश में अभी उपलब्ध है. बाजार में पर्याप्त गेहूं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार जरूरत पड़ने पर आवश्यक कदम भी उठाएगी. उन्होंने कहा कि सट्टा कारोबार की वजह से कीमतों पर असर भी पड़ा है. इन दिनों गेहूं बाजार में धीरे-धीरे आ भी रहा है क्योंकि सटोरियों ने कीमतों में वृद्धि की संभावना में जमाखोरी की भी है. हमारे गेहूं के स्टॉक की स्थिति संतोषजनक भी है. केंद्रीय पूल में हमारे पास 2.4 करोड़ टन तक गेहूं है. सरकार देश में आगामी रबी सत्र में गेहूं का उत्पादन बढ़ाने के भी प्रयास लगातार कर रही है.

देश में जमाखोरी के खिलाफ ठोस कदम उठाएगी सरकार

अब खाद्य सचिव का कहना है कि देश में पर्याप्त गेहूं भी उपलब्ध है. अगर जरूरत पड़ी तो हम अनाज को बाजार में लाने के लिए ठोस कदम भी उठाएंगे. जमाखोरी और कालाबाजारी पर लगाम लगाने के लिए स्टॉक सीमा लागू करने से पहले व्यापारियों द्वारा गेहूं के स्टॉक का खुलासा भी करना पहला चरण हो सकता है. बता दें कि पंजाब और हरियाणा जैसे कुछ राज्यों में गर्मी के कारण भारत का गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2021-22 में घटकर 10 करोड़ 68.4 लाख टन तक रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 10 करोड़ 96 लाख टन तक था. विपणन वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में सरकार की गेहूं खरीद पिछले वर्ष के 4.3 करोड़ टन तक की तुलना में लगभग घटकर 1.9 करोड़ टन तक रह गई. इस स्थिति ने केंद्र को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और राशन की दुकानों के माध्यम से गेहूं के बजाय अधिक चावल की आपूर्ति करने के लिए भी मजबूर किया.

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