Edible Oil: विदेशी तेलों के दवाब से भारत में खाने का तेल हुआ सस्ता, जानें आज के ताजा रेट

 

THE CHOPAL (Edible Oil Price): भारत में आयातित सस्ते खाद्य तेलों की अब भरमार की वजह से सोमवार को स्थानीय मंडियों में तेल-तिलहनों में गिरावट का रुख बना रहा और सोयाबीन तेल-तिलहन, पामोलीन और बिनौला तेल का भाव में गिरावट देखने को मिली। आपको बता दे की दूसरी ओर रेट ऊंचा बोले जाने मगर लिवाल नहीं होने की स्थिति की वजह से सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन के रेट पहले के स्तर पर बंद भी हुए.

ALSO READ - Wheat MSP News: गेहूं खरीद के आंकड़ों से राहत, 12% बढ़ी आवक, 1189237 किसानों को मिला सीधा लाभ 

मजबूर किसान 

आपको बता दे की बाजार के जानकार सूत्रों के अनुसर दिल्ली की नजफगढ़ मंडी में किसानों ने 3 दिन से सरसों रखा भी था, लेकिन यह बिका भी नहीं था, क्योंकि भाव कम बोले जा रहे थे। आपको बता दे की सरसों की फसलों के भाव MSP से काफी ज्यादा कम लगाये जाने से दुखी होकर वे अपनी फसल बेच भी नहीं रहे थे। आपको बता दे की भाव में कोई सुधार नहीं होता देख किसान वापस अपनी ट्रॉलियों में सरसों की लदान करने लगे तब आढ़तियों ने भाव  में मामूली करीब 100 रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इस आवक को करीब 4,800 रुपये क्विंटल के भाव खरीदा। 

ALSO READ - Silver Price : अब चांदी में निवेशकों की होगी चांदी, एक्सपर्ट ने बताया सिल्वर रेट से जुड़ा बड़ा राज 

सरकार से अपील

सूत्रों के अनुसार केंद्रीय तेल उद्योग व्यापार संघ के अध्यक्ष सुरेश नागपाल ने यह कहा है कि वह 13 MARCH से सरकार से यह अनुरोध कर रहे हैं कि आयातित खाद्य तेलों पर शुल्क बढ़ाये भी नहीं गए, तो परेशानी ज्यादा बढ़ भी सकती है और इसके कारण से किसान हतोत्साहित होकर दूसरी फसलों की ओर रुख भी कर सकते हैं. उन्होंने यह कहा कि देश में पैदा होने वाले किसी अन्य तिलहन फसलों के मुकाबले सबसे ज्यादा 40 फीसदी तेल की प्राप्ति सरसों से ही होती है. लेकिन आयातित सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की भरमार के  कारण से सरसों खप भी नहीं रहा और लगभग 50 फीसदी मिलों ने कार्य करना बंद भी कर दिया है.


आप की जानकारी के लिए बता दे की सूरजमुखी और सोयाबीन तेल पर 5.5 फीसदी का आयात शुल्क भी है जबकि पामोलीन पर 13.75 फीसदी का आयात शुल्क लगाया भी जाता है। आपको बता दे की पामोलीन के महंगा होने की वजह से इसके आयात का ऑर्डर रद्द कर आयातक नरम तेलों का आयात करने में जुट भी गये हैं। अब कम आयवर्ग के उपभोक्ता क्या करें? क्योंकि थोक भाव सस्ता होने के बावजूद प्रीमियम लगाये जाने और मैक्सिमम रिटेल प्राइस की वजह से सूरजमुखी और सोयाबीन उन्हें सस्ते में भी नहीं मिल रहा और पामोलीन 13.75 फीसदी का आयात शुल्क की वजह से महंगा हो चला है. मौजूदा विसंगति को दूर करने के लिए या तो सरकार को सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिये या पामोलीन पर आयात शुल्क कम करना चाहिये ताकि संतुलन की स्थिति बने.