देश में गिरेगी गेहूँ की कीमतें, कृषि विभाग के आंकड़ों मुताबिक इतना बढ़ जाएगा इस साल उत्पादन  

 

The Chopal, नई दिल्ली: जारी फसल वर्ष 2022-23 में भारत का गेहूं उत्पादन 11.2 करोड़ टन तक रहने का अनुमान है जिसमें ज्यादा उपज वाली किस्मों की अहम भूमिका भी होगी. देश के कृषि शोध संस्थान आईआईडब्ल्यूबीआर ने यह अनुमान जताया है. हरियाणा के करनाल में स्थित आईसीएआर भारतीय गेहूं एवं जौ शोध संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने मीडिया से कहा कि देश में गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना के पीछे अधिक उपज वाली किस्मों की खेती का रकबा बढ़ना भी एक अहम वजह है. इसके अलावा अनुकूल मौसम भी इस उत्पादन में अहम योगदान देगा.

मौजूदा जारी रबी सत्र में गेहूं उत्पादन का यह अनुमान पिछले साल के रबी कटाई सत्र की तुलना में करीब 50 लाख टन ज्यादा है. गेहूं की फसल के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘हमारी यहां अच्छी सर्दी भी हो रही है. और बुवाई समय पर की गई है. अभी तक सब कुछ बहुत अच्छा भी है.’

देश में गेहूं की खेती के रकबे के बारे में सिंह ने कहा कि इस सत्र में रबी की फसल का रकबा लगभग 3.3 करोड़ हेक्टेयर तक था, जिसके बीते साल की तुलना में 15 लाख हेक्टेयर ज्यादा होने की उम्मीद है. देश के पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान गेहूं की फसल के प्रमुख उत्पादक राज्यों में से हैं.

इस सत्र में 11.2 करोड़ टन तक गेहूं की फसल की उम्मीद

उन्होंने कहा कि मुझे इस सत्र में 11.2 करोड़ टन तक गेहूं की फसल की उम्मीद है. यह पिछले साल की तुलना में 50 लाख टन ज्यादा होगा. वही गेहूं के उत्पादन में अपेक्षित वृद्धि के तीन कारण भी हैं. एक तो खेती का रकबा थोड़ा बढ़ गया है, दूसरा अनुकूल मौसम भी रहा है और तीसरा, नई किस्मों के गेहूं बीज के खेती के रकबे में बढ़ोतरी हुई है.

देश में इन किस्मों की होती है अधिक उपज

देश में ज्यादा उपज देने वाली किस्मों में डीबीडब्लयू 187, डीबीडब्लयू 303, डीबीडब्लयू 222 और एचडी 3226 मुख्य शामिल हैं. ये किस्में ज्यादातर हरियाणा, पंजाब, पश्चिम यूपी और राजस्थान राज्यों में बोई जाती हैं. उन्होंने कहा, ‘गेहूं की इन किस्मों की सिफारिश पूर्वी यूपी, बिहार के लिए भी मुख्य रूप की जाती है और इनमें से दो किस्मों की सिफारिश मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों के लिए भी की जाती है. डीबीडब्लयू 187 और 303 अखिल भारतीय किस्में भी हैं और उन्हें बड़े खेतों में भी बोया जाना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि किसानों को ज्यादा उपज वाली किस्में अपनाने के लिए जागरूक भी किया गया और इसके लिए बीज भी किसानों को उपलब्ध कराया गया. इसलिए इस बार नई किस्मों का रकबा भी अब बढ़ा है. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से पुरानी, ​​संवेदनशील किस्मों की खेती का रकबा कुछ घटा है.
आईआईडब्ल्यूबीआर के निदेशक ने कहा कि नई किस्मों के साथ गेहूं की पैदावार में प्रति हेक्टेयर दस क्विंटल से ज्यादा की वृद्धि होती है. उन्होंने कहा, ‘अगर किसान पुरानी किस्मों की जगह नई किस्में उगाते हैं तो 10 15 क्विंटल का लाभ हमेशा होता है. दरअसल नई किस्में जलवायु के अनुकूल हैं और उन पर बदलते मौसम का कम से कम प्रभाव भी पड़ेगा.’

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