Basmati Rice: भारत देश बासमती धान की बेहतरीन किस्में, किसान किसी भी जमीन में करें बुवाई कम पानी में मिलेगी बंपर पैदावार

 

The Chopal, नई दिल्ली:  मौसम जानकारों अनुसार इस बार जून के पहले हफ्ते में मानसून का आगमन भी होगा. इसके बाद पूरे देश में किसान धान की बुवाई में भी लग जाएंगे. हालांकि, किसानों ने धान की नर्सरी तैयार करनी भी शुरू कर दी है. अगर किसान भाई बासमती धान की खेती करने का प्लान भी बना रहे हैं, तो आपके लिए यह बड़ी खबर है. क्योंकि आज हम बासमती धान की ऐसी किस्मों के बारे में किसान भाइयों को भी बताएंगे, जिसकी खेती करने पर बंपर पैदावार भी मिलेगी. साथ ही इन किस्मों में रोग लगने की संभावना भी बेहद कम रहती है.

बासमती धान की खेती वैसे पूरे भारत में भी की जाती है. अलग- अलग राज्यों में अलग- अलग किस्म की बासमती चावल भी उगाई जाती है. लेकिन कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसकी खेती किसी भी तरह के मौसम और जलवायु में भी की जा सकती है. इनके ऊपर झुलसा रोग का असर भी नहीं होता है. साथ ही फसल की लंबाई कम होने के चलते तेज हवा बहने पर भी ये खेत में भी नहीं गिरते हैं. ऐसे में किसान कीटनाशकों के ऊपर होने वाले खर्च से भी बचेंगे और धान में पौष्टिकता भी बेहद बरकरार रहेगी, जिससे मार्केट में अच्छा भाव मिलेगा.

धान की पूसा बासमती-6 (पूसा- 1401) किस्म: 

पूसा बासमती-6 धान की एक सिंचित किस्म भी है. यानी कि यह किस्म बारिश से ही अपने लिए पानी की जरूरत को भी पूरा कर लेता है. यह बासमती की बौनी किस्म भी है. इसकी फसल की लंबाई परंपरागत बासमती के मुकाबले काफी कम भी होती है. ऐसे में तेज हवा बहन पर भी इसकी फसल खेत में नहीं गिरती है. इसकी उपज क्षमता 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. अगर किसान भाई इसकी खेती करेंगे को बंपर पैदावार भी मिलेगी.

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उन्नत पूसा बासमती-1 (पूरा- 1460): उन्नत पूसा बासमती-

वही 1 भी पूसा बासमती-6 की तरह एक सिंचित बासमती धान की किस्म है. इसकी फसल 135 दिन में ही तैयार भी हो जाती है. यानी की 135 दिन बाद किसान भाई इसकी कटाई भी कर सकते हैं. इसमें रोग प्रतिरोध क्षमता ज्यादा पाई जाती है. ऐसे में इसके ऊपर झुलसा रोग का भी कोई असर भी नहीं होगी. अगर उपज की बात करें तो, आप एक हेक्टेयर से 50 से 55 क्विंटल धान का उत्पादन कर सकते हैं.

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पूसा बासमती- 1121: 

पूसा बासमती- 1121 की बुवाई आप किसी भी धान की खेती वाले इलाके में भी कर सकते हैं. यह बासमती की एक सुगंधित किस्म भी है. यह 145 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इसके चावल का दाना पतला और लंबा भी होता है. खाने में यह काफी टेस्टी भी लगता है. इसकी उपज क्षमता 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. इसके अलावा किसान भाई चाहें, तो पूसा सुगंध-3, पूसा सुगंध-2 और पूसा सुगंध-5 की भी खेती भी कर सकते हैं. इन किस्मों की खेती के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा का मौसम अनुकूल है. ये किस्में 120 से 125 दिनमें पककर तैयार भी हो जाती हैं. वहीं एक हेक्टेयर 40 से 60 क्विंटल पैदावार भी मिल सकती है.

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