MP Breaking News: मध्य प्रदेश में अफीम के किसानों की अजीब टेंशन, तोते खा रहें फसल
THE CHOPAL - भारत के मध्य प्रदेश के मंदसौर,रतलाम और नीमच में बहुत अच्छी खासी संख्या में किसान अफीम की खेती करते नजर भी आते हैं। अफीम की खेती के लिए किसानों को बकायदा केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग से लाइसेंस भी लेना होता है। आपको बता दे की किसान नारकोटिक्स विभाग की देखरेख में ही इस फसल को उगा भी सकते हैं। आपको बता दे की अब यहां के किसानों की अफीम की खेती पर खतरा भी मंडराने लगा है. दरअसल आपको बता दे की तोते अफीम खाने लगे हैं. जिसके कारण से किसानों को फसल के नुकसान का डर भी सता रहा है.
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अफीम की फसल वाले किसान-
तोतों के आतंक के कारण से किसानों की चिंताएं अब बढ़ भी गई है। अफीम की फसल करने वाले किसानों को अपनी उपज सरकार को देनी भी होती है। आपको बता दे कि अगर किसान ऐसा नहीं कर पाते हैं तो सरकार की तरफ से अफीम की खेती का उनका कांट्रेक्ट खत्म भी कर दिया जाता है। आपको ऐसी स्थिति में कुछ किसानों के द्वारा तोतों से अफीम को बचाने के लिए अब प्लास्टिक की नेट लगानी भी शुरू की है।
तरीका -
प्लास्टिक की नेट लगाने से अफीम की खेती को पहले के मुकाबले अब कम नुकसान भी होने लगा है। आपको बता दे की पहले तोते ज्यादा मात्रा में अफीम के डोडे अपनी चोंच में लेकर उड़ भी जाते थे। अब किसानों के द्वारा प्लास्टिक नेट लगने से ऐसे तोतों की संख्या काफी कम भी हुई है।
अफीम का प्रयोग -
अफीम की फसल JAN से MARCH के बीच होती है। आपको बता दे की अफीम के अलावा, अफीम का डोडा भी इस से मिलता है। आपको बता दे की जब अफीम पौधे छोटे होते हैं तब अफीम सब्जी मंडियों में बेचा भी जाता है। अफीम किसानों से भारत की केंद्र सरकार खरीदती भी है। अफीम से मार्फिन निकलती है। अफीम के कई प्रकार पदार्थ भी निकलते हैं। आपको बता दे की अफीम से हार्ट की दवा व रक्त संबंधी दवा तथा कई प्रकार की मनोरोग व नींद की दवाइयां बनाने में इसका उपयोग किया जाता हैं।