Wheat Farming : गेहूं की खेती में बढ़ते तापमान से नुकसान, इस्तेमाल करें ये खास उपाय

Wheat Farming : गेहूं की फसल के लिए फरवरी का महीना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय गेहूं में बालियां आने लगती हैं। फरवरी में तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने लगती है, जो गेहूं की फसल के लिए खराब है। अधिक तापमान गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
 

The Chopal : देश के कई राज्य गेहूं की खेती करते हैं। गेहूं, रबी की सबसे बड़ी फसल, इस बार भी किसानों ने बोया है और इस साल गेहूं का बहुत अधिक उत्पादन होगा। ऐसे में किसानों को गेहूं की फसल की उचित देखभाल करनी चाहिए ताकि उनकी फसल को नुकसान नहीं हो और उच्च पैदावार मिल सके। फरवरी का महीना गेहूं की फसल की देखभाल में महत्वपूर्ण है। इस महीने तापमान बढ़ा है, जिससे गेहूं की फसल को नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में फरवरी महीने में बढ़ने वाले तापमान से गेहूं की फसल को बचाने के लिए किसानों को बहुत कुछ करना होगा।

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हम आपको फरवरी में अचानक बढ़े हुए तापमान से गेहूं की फसल को कैसे बचाएंगे, तो आइए जानते हैं गेहूं की फसल को बढ़े हुए तापमान से बचाने के पांच विशेष उपाय।

बढ़ता तापमान गेहूं की फसल को क्या नुकसान देता हैं 

गेहूं की फसल के लिए फरवरी का महीना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय गेहूं में बालियां आने लगती हैं। फरवरी में तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने लगती है, जो गेहूं की फसल के लिए खराब है। अधिक तापमान गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। तापमान और समय का सही संतुलन नहीं होने पर गेहूं की पैदावार प्रभावित होती है। गेहूं की फसल में दाना बनने में भी समस्या होती है। फरवरी में गेहूं की खेती के लिए सही तापमान 10 डिग्री से कम और 25 डिग्री तक होना चाहिए। इससे ऊपर बढ़े हुए तापमान से गेहूं की फसल को सीधा नुकसान होने की संभावना बनी रहती है।

फरवरी महीने में क्या करें

गेहूं में बालियां आने लगने के कारण फरवरी का महीना गेहूं की फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। फरवरी में तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने लगती है, जो गेहूं की फसल के लिए अच्छा नहीं है। अधिक तापमान गेहूं की फसल को खराब कर सकता है। समय और तापमान का सही संतुलन नहीं होने पर गेहूं की पैदावार प्रभावित होती है। गेहूं की फसल में दाना बनने में भी समस्या आती है। फरवरी में गेहूं की फसल के लिए सही तापमान 10 डिग्री से कम और 25 डिग्री तक होना चाहिए। गेहूं की फसल पर सीधा प्रभाव वाले बढ़े हुए तापमान से नुकसान की संभावना बनी रहती है। 

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गेहूं की फसल में गोभ आने पर किसानों को बहुत सावधान रहना चाहिए। यदि इस समय फसल पर कोई बुरा प्रभाव दिखाई देता है तो उसे नियंत्रित करना चाहिए। इसके लिए आप दो प्रतिशत पोटेशियम नाइट्रेड डाल सकते हैं। गेहूं की फसल पर इस मौसम में मोहू कीट का प्रकोप होने की संभावना भी बनी रहती है। 20 ग्राम तायो को प्रति एकड़ 100 लीटर पानी में मिलाकर फसल पवर मोहू कीट के प्रकोप को नियंत्रित करना चाहिए।

यदि गेहूं फसल पर पीले रतुए का प्रकोप दिखाई दे तो 200 मिली लीटर प्रोपिकोनाजोल 25 ई.सी. दवाई प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर साफ मौसम में छिड़काव करना चाहिए। इसके बाद 15 दिन के अंतराल पर फिर से छिड़काव किया जा सकता है। हालांकि शुष्क मौसम में गेहूं की फसल पर पीले रतुए रोग कम ही होता है।