Wheat Production: बढ़ते पारे से ना होगा गेहूँ का उत्पादन कम, सीमित रहेंगे भाव, जानें इसके पीछे कृषि विभाग का विशेष कारण

 

The Chopal,नई दिल्ली: देश में इस साल गेहूं के रेट एक दम तेजी बढ़ने लगे थे और फिर केंद्र सरकार हरकत में आई और सरकार ने गोदामों में रखा गेहूं बाजार में उतारा ताकि रेट को काबू रखा जा सके. अब फिर एक बार तापमान के ज्यादा तेज होने की संभावना मौसम विज्ञानियों ने जताई है. ऐसे में फिर लोगों और सरकार को इससे कुछ सहमने की खबरें भी आ रही थीं. माना जा रहा है था कि बढ़े हुए तापमान के चलते फसलों को नुकसान होने की संभावना जताई भी जाने लगी. किसानों से लेकर यह हलचल दिल्ली में पीएमओ तक पहुंची. अब कहा जा रहा है कि गेंहू की फसल पर फिलहाल तापमान का असर भी नहीं होगा. 

अब IMD के पूर्वानुमान के अनुसार फिलहाल ऐसा तापमान नहीं है जो गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाए. 15 दिनों तक का पूर्वानुमान मौसम विभाग कर सकता है और इस दौरान 10 सालों के औसत तापमान से कुछ हल्का अधिक तापमान रह सकता है, पर वो गेंहू की फसल के नुकसान के लिए जिम्मेदार भी नहीं बन पाएगा.

विज्ञानियों का कहना है कि 110 से 135 दिनों में गेहूं की फसल तैयार भी हो जाती है और अगर किसी ने देर से फसल लगाई हो तब भी 15 अप्रैल तक अमूमन हर जगह कटाई भी हो जाती है. कहा जा रहा है कि फसल को नुकसान करने वाली गर्मी इसके बाद ही होगी. देश के 75 % इलाके में गेंहू की फसल नवंबर में लगाई गई है जिसमें पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे कई राज्य शामिल हैं. 

वहीं, गेंहू की फसल लगाए जाने वाले इलाकों के 50 % तक भूभाग पर गेंहू की नई किस्म लगाई गई और इसमें भी 50 % तक फसल मौसम के बदलावों को सहन करने वाली है जो थोड़ा बहुत बढ़े तापमान को भी झेल सकता है.

साथ ही विज्ञानियों ने कहा है कि इसके बावजूद जिन कुछ लोगों को थोड़ा दिक्कत होने की संभावना भी है उन्हें एडवाइजरी जारी कर दी गई है. राज्यों और किसानों को एडवाइजरी भी जारी की गई है कि अगर थोड़ी बहुत ज़मीन में नमी बरकरार रखने की जरूरत पड़े तो वो हल्का पानी वो दें. हल्की सिंचाई करें. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी उच्चस्तरीय बैठक में यही सब बिंदुओं की जानकारी विभाग द्वारा दी गई है. 

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