हरियाणा शिक्षा बोर्ड से चेयरमैन नें इसलिए इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि उनका क्लर्क उनसे ज्यादा पढ़ा था,

 

हरियाणा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन ईश्वर सिंह ने इसलिए नौकरी छोड़ दी थी क्योंकि उनका क्लर्क उनसे ज्यादा पढ़ा हुआ था. इसके पीछे की धारणा यह है कि शिक्षक भी कभी ना कभी विद्यार्थी ही होता है. वैसे तो व्यक्ति पूरी जिंदगी विद्यार्थी बना रहता है. वह जीवन में सीखता ही रहता है. जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायक ईश्वर सिंह जीवन में वास्तव में वह एक विद्यार्थी है.

हरियाणा के जिला कैथल के गुहला चीका विधानसभा क्षेत्र से विधायक उम्र 73 वर्ष ईश्वर सिंह ने इस वर्ष लॉकडाउन के समय जिला कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए की परीक्षा दी थी. हाल ही में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने परिणाम जारी किए हैं. जिसमें ईश्वर सिंह प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गए हैं. सन 1980 में ईश्वर सिंह ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी का चेयरमैन रहते हुए सिर्फ इसलिए इस्तीफा दे दिया कि उनका क्लर्क 12वी तक पढ़ा था तथा वह खुद दसवीं तक पढ़े थे. इसके बाद उन्होंने राजनीति परीक्षाएं तथा शैक्षिक परीक्षाएं दी. परंतु वह राजनीति परीक्षाओं में कई बार फेल हुए परंतु शैक्षिक परीक्षाओं कभी फेल नहीं हुए.

काम के प्रति निष्ठावान अधिकारी,

हरियाणा के आईएएस अधिकारियों की इच्छा रहती है कि उन्हें जिला गुरुग्राम तथा फरीदाबाद में एक ही बार सही, लेकिन जिला उपायुक्त बनने का अवसर मिले. एक अधिकारी ने बताया है कि उन्हें इन जिलों में काम करना तथा खुलकर खेलने में कुछ ओर ही एहसास है. यहां पर नाम और यश दोनों मिलता है. एक सेवानिवृत्त अधिकारी के अनुसार काम करने वालों के लिए हर जगह अवसर होती है.

राज्य के सबसे नए और छोटे जिले चरखीदादरी के डीसी राजेश जोगपाल ने वहां भी काम कर दिखाया. कोरोना काल में निजी लैब संचालकों की टेस्ट के लिए खुली लूट को न सिर्फ बंद करा दिया बल्कि मरीजों से वसूली ज्यादा राशि 2560 भी वापस दिलवाई. डीसी महामारी में लैब बंद करने की कार्रवाई तो कर नहीं सकते थे. लेकिन जो काम किया ऐसा किया कि नजीर बन गया. सो भइया, बात छोटे बड़े जिले की नहीं काम के प्रति निष्ठा की है.

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