बिहार में 110 किमी नई रेल लाइन, 15 नए स्टेशन और 1 हाल्ट, अब सफर होगा आसान

Bihar News: सोमवार को पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मालेगांव मंडल के महाप्रबंधक अरुण कुमार चौधरी की निगरानी में अररिया-गलगलिया नई रेल लाइन पर ट्रेन का ट्रायल रन सफलतापूर्वक पूरा किया गया। यह ट्रायल तकनीकी जांच के लिए किया गया था, ताकि यह देखा जा सके कि ट्रैक पूरी तरह से सुरक्षित है या नहीं और ट्रेन संचालन के लिए उपयुक्त है या नहीं। रेलवे प्रशासन ने इस पूरी प्रक्रिया को बहुत सतर्कता और ध्यान से अंजाम दिया।
स्टेशन की तैयारियों और सुविधाओं का जायजा लिया
सुबह करीब 11:15 बजे जीएम अरुण कुमार चौधरी ठाकुरगंज रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां उन्होंने स्टेशन की तैयारियों और सुविधाओं का जायजा लिया। उनके साथ अररिया के सांसद प्रदीप कुमार सिंह भी मौजूद थे। इसके बाद जब वे गलगलिया स्टेशन पहुंचे, तो वहां स्थानीय लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। लोग कई सालों से इस रेल लाइन के शुरू होने का इंतजार कर रहे थे। अब जब ट्रायल सफल रहा, तो इलाके के लोगों के चेहरे पर खुशी साफ दिख रही थी। लोग इसे अपने क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक पल बता रहे थे। ट्रायल के समय रेलवे के अधिकारी, टेक्निकल स्टाफ, ठेकेदार और मजदूर सभी ट्रैक से सुरक्षित दूरी बनाकर खड़े थे।
सिग्नल सिस्टम और ट्रैक की मजबूती को ध्यान से परखा गया
रेलवे ने इस परीक्षण में ट्रेन को तेज गति से चलाकर रेल लाइन की पूरी जांच की। ट्रेन ने कई स्टेशनों और पटरियों से गुज़रते हुए पटरियों के जोड़, सिग्नल सिस्टम और ट्रैक की मजबूती को ध्यान से परखा गया। अररिया-गलगलिया रेल लाइन का निरीक्षण करते हुए पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक (निर्माण) अरुण कुमार चौधरी ने बताया कि यह रेल लाइन लगभग 110 किलोमीटर लंबी है। यह क्षेत्र के विकास में बहुत मदद करेगी और उत्तर बंगाल और पूर्वोत्तर भारत के बीच एक नया और वैकल्पिक रेल मार्ग बनेगी।
लाखों लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी होगी
भाजपा सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने इस मौके पर कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले अररिया से गलगलिया तक ट्रेनें चलने लगेंगी। उन्होंने कहा कि यह रेल लाइन पूर्णिया, कटिहार और अररिया के लाखों लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी होगी। इस रेल लाइन पर कुल 15 स्टेशन और एक छोटा हॉल्ट स्टेशन बनाए गए हैं। इन स्टेशनों में गलगलिया, ठाकुरगंज, भोगडावर, कादोगांव, पौआखाली, तुलसिया, बीबीगंज, टेढ़ागाछ, कालियागंज, कुर्साकाटा, बांसबारी, रहमतपुर, अररिया कोर्ट और अररिया शामिल हैं।
यह परियोजना 2004-05 में मंजूर हुई थी। 2006 में गांधी मैदान ठाकुरगंज में तत्कालीन सांसद मु तस्लीमुद्दीन और पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव की मौजूदगी में इसका शिलान्यास हुआ था। उस समय इसका बजट करीब 540 करोड़ रुपये था।
फिर 11 साल बाद, मोदी सरकार ने 2014 के पहले रेल बजट में इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए धनराशि दी और भूमि अधिग्रहण का काम शुरू कराया। राज्य सरकार ने जून 2017 में भूमि अधिग्रहण के लिए नोटिफिकेशन जारी किया, लेकिन काम 2019 में शुरू हुआ। इस परियोजना की कुल लागत करीब 2132 करोड़ रुपये है और इसके लिए 1632 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई है। यह रेल लाइन पूर्वोत्तर बिहार को उत्तर बंगाल और पूर्वोत्तर भारत से जोड़ने वाला एक नया रास्ता होगी।