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राजस्थान में बनेगी 137 किमी लंबी भारतमाला सड़क, इस जिले के गांवों में विकास के नए रास्ते खुलेंगे

Bharatmala Pariyojana : अब पांच साल बाद, डेजर्ट नेशनल पार्क (DNP) के नियमों के जाल में फंसी लगभग 137 किमी लंबी भारतमाला सड़क परियोजना के तहत सड़क निर्माण की अनुमति मिल गई है। 5 साल बाद, भारतमाला सड़क परियोजना को मंजूरी मिली. 137 किलोमीटर लंबी सड़क पूर्व में 390 करोड़ रुपये से बनने वाली थी, लेकिन डीएनपी से एनओसी नहीं मिलने के कारण यह डब्ल्यूआईआई देहरादून की टीम से सर्वे कराया गया। टीम ने सड़क को हर मौसम में सर्वे कर रिपोर्ट एनएचएआई को दी है। इसके बाद प्रोजेकट को 16 शर्तों के साथ मंजूरी दी गई।

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राजस्थान में बनेगी 137 किमी लंबी भारतमाला सड़क, इस जिले के गांवों में विकास के नए रास्ते खुलेंगे

Rajasthan News : अब पांच साल बाद, डेजर्ट नेशनल पार्क (DNP) के नियमों के जाल में फंसी लगभग 137 किमी लंबी भारतमाला सड़क परियोजना के तहत सड़क निर्माण की अनुमति मिल गई है। पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्री भूपेंद्र यादव ने पिछले दिनों राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थाई समिति की बैठक (NBWL Meeting) में 16 शर्तों पर सड़क निर्माण की अनुमति दी है।

अब निर्माण पर 482 करोड़ रुपये की अधिक लागत होगी

पूर्व में, यह 137 किलोमीटर लंबी सड़क 390 करोड़ रुपये से बनने वाली थी, लेकिन डीएनपी से एनओसी नहीं मिलने के कारण WII देहरादून की टीम ने सर्वे कराया। टीम ने सड़क को हर मौसम में सर्वे कर रिपोर्ट एनएचएआई को दी है। रिपोर्ट में वन्यजीवों की सहूलियत के लिए इस सड़क मार्ग पर पूरी फेंसिंग, अंडरपास और फ्लाइओवर की मांग की गई है। इन सभी की संख्या भी बहुत अधिक है। इसलिए सड़क निर्माण की लागत 482 करोड़ रुपये बढ़ी है। सड़क बनाने का खर्च 390 करोड़ से 872 करोड़ तक बढ़ा है।

2018 से भारतामाला परियोजना ठप है

राष्ट्रीय मरू उद्यान संघर्ष एवं विकास समिति के अध्यक्ष जुगतसिंह सोढ़ा ने कहा कि 2018 से जैसलमेर से सुंदरा तक 137 किमी भारतमाला प्रोजेक्ट का काम डेजर्ट नेशनल पार्क के कठोर नियमों की वजह से रुका हुआ है। अब समिति की निरंतर कोशिशों का परिणाम सामने आया है। डब्ल्यूआईआई से सर्वे कराया गया था क्योंकि पहले अनुमति नहीं मिली थी। सर्वें के बाद इस परियोजना में अधिक धन खर्च हुआ है। हमने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मिलकर आम जनता को इस समस्या से अवगत कराया। इस सड़क के निर्माण से आसपास के लोगों को राहत मिलेगी।

गांवों में आगे बढ़ने के रास्ते खुले

डीएनपी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है, स्थानीय निवासी लालू सिंह सोढा ने बताया। भारतमाला सड़क का अटका काम इसका सबसे बड़ा उदाहरण था। केंद्र सरकार के रुकी हुई सड़क निर्माण परियोजना को मंजूरी मिलने में पांच वर्ष लग गए हैं। इन गांवों में विकास के लिए अब अनुमति मिल गई है। यहां भी समान्तर विकास होगा अगर केंद्र और राज्य सरकारें स्थानीय लोगों की समस्याओं को समझते हुए सुविधाओं के लिए भी छूट देंगे।

पहले सड़क 3 मीटर थी

जैसलमेर-म्याजलार सड़क की मंजूरी के बाद एक प्रेस वार्ता में विधायक छोटू सिंह भाटी ने कहा कि 1981 से जैसलमेर और बाड़मेर में डीएनपी का 7 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित रहा, जहां आम लोगों को मूलभूत सुविधाओं की कमी थी। उन्हें खेती की केसीसी, बिजली और पानी से वंचित रहना पड़ा। जैसलमेर से म्याजलार की सड़क सिर्फ 3 मीटर की थी, इसलिए स्थानीय लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। डीएनपी क्षेत्र और इस सड़क के लिए विधायक भाटी ने पहले भी काम किया था। 

15 अक्टूबर की बैठक में फैसला

मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व मंत्री कैलाश चौधरी, पूर्व विधायक सांग सिंह, सीमा जागरण मंच के नीम्बसिंह और सीमा समिति के प्रतिनिधि मंडल के साथ वन और पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव और सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडगरी ने एक बैठक में इस सड़क की स्वीकृति की मांग की, भाटी ने बताया। 15 अक्टूबर 2024 को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। जैसलमेर से म्याजलार मार्ग की मंजूरी, विधानसभा क्षेत्र की एक बहुत महत्वपूर्ण सड़क परियोजना है। साथ ही, अब राष्ट्रीय मरु उद्यान (DNP) क्षेत्र में मोबाइल टावर लगाने की अनुमति दी गई है। 137 किलोमीटर लंबी सड़क को राष्ट्रीय मरु उद्यान के सभी मानकों का पालन करते हुए बनाया जाएगा, वन्यजीवों को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाए बिना, क्षेत्र के समग्र विकास, स्थानीय निवासियों की आवश्यकताओं और पर्यटन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए।

यहां मुख्य शर्तें शामिल हैं:

वन जीवन बोर्ड की समिति ने परियोजना के दौरान वन्यजीव और पर्यावरण संरक्षण के लिए 16 शर्तें निर्धारित की हैं। ये शर्तें मुख्य रूप से वन्यजीवों की सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और निर्माण गतिविधियों के प्रभाव को न्यूनतम रखने पर केंद्रित हैं।मार्ग योजना का क्रियान्वयन: डब्ल्यूआईआई द्वारा तैयार मार्ग योजना का पालन और अंडरपास का निर्माण किया जाएगा।

पुनर्वास हेतु योगदान: परियोजना लागत का 2% पुनर्वास/भूमि अधिग्रहण के लिए जमा किया जाएगा।
कार्य समय का प्रतिबंध: सड़क निर्माण सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद नहीं होगा।
सामग्री निष्कासन पर रोक: डीएनपी क्षेत्र में निर्माण के दौरान सामग्री नहीं निकाली जाएगी।
पर्यावरण संरक्षण: पेड़ काटने और ईंधन की लकड़ी जलाने पर प्रतिबंध है।
अपशिष्ट निपटान: डीएनपी क्षेत्र के बाहर ही निर्माण का अपशिष्ट निपटारा किया जाएगा।
श्रमिक शिविर: डीएनपी क्षेत्र की सीमा से 1 किमी के भीतर शिविर की अनुमति नहीं है।
विस्फोटक गतिविधियों पर रोक: डीएनपी सीमा से 1 किमी के भीतर विस्फोट नहीं किया जाएगा।
हाई मास्ट और तेज आवाज प्रतिबंध: डीएनपी सीमा से 1 किमी के भीतर तेज आवाज और हाई मास्ट लाइटिंग नहीं होगी।
साइन बोर्ड: यातायात नियंत्रण हेतु जंगली जानवरों के बारे में सूचना देने वाले साइन बोर्ड लगाए जाएंगे।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम का पालन: कर्मचारी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 का पालन करेंगे।
अभयारण्य में साइन बोर्ड: प्रत्येक 500 मीटर पर एक साइन बोर्ड स्थापित किया जाएगा।
स्पीड ब्रेकर: प्रत्येक 300 मीटर पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाएंगे।
पौधरोपण: सड़क के दोनों ओर पेड़ लगाए जाएंगे।
गड्ढे नहीं बनेंगे: डीएनपी क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए गड्ढे नहीं बनाए जाएंगे।
मलबा साफ करना: निर्माण के बाद बचे मलबे को पूरी तरह से साफ करना होगा।